भुनेश्वर साहू.
आरंग। धार्मिक नगरी आरंग में मिले प्राचीन प्रतिमा को रायपुर कलेक्टर द्वारा एक वर्ग विशेष को दिए जाने के आदेश से आरंगवासी उद्वेलित हैं। संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल द्वारा आरंग की मूर्तियों को आरंग में ही संरक्षित करने संग्रहालय निर्माण के लिए 25 लाख रुपये देने की घोषणा मोरध्वज महोत्सव में 29 जनवरी को की गई है। इस बीच रातोंरात आदेश प्रसारित कर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा 30 जनवरी को मूर्ति को निजी ट्रस्ट को सौंपे जाने की जानकारी मिलने पर नगरवासी आक्रोशित हो गए। पीपला वेलफेयर फाउंडेशन और रानी पद्मावती महिला संगठन की टीम ने भांडदेवल मंदिर परिसर में गांधी जी का भजन गाकर सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया है। एक दिन का उपवास रखकर संगठन के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर संगठन के सक्रिय सदस्यों ने भांडदेवल मंदिर परिसर पहुँच कर स्वच्छता अभियान चलाया। झाड़ू लगाकर राष्ट्रीय महत्व के स्मारक परिसर की सफाई की। बाद गांधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर, दीप प्रज्वलित कर भजन कीर्तन किया। और मूर्ति को नगर से बाहर ले जाने के आदेश पर आक्रोश जताया। कलेक्टर के द्वारा पारित अंतरिम आदेश को तत्काल निरस्त नहीं किए जाने पर क्रमिक अनशन, उग्र प्रदर्शन करने की चेतावनी दी गई है।ज्ञातव्य है कि सितम्बर-2021 में अंधियार खोप तालाब के गहरीकरण के दौरान यह पाषाण प्रतिमा मिली थी। जिसे नगरवासियों ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित भाण्डदेवल मंदिर आरंग में सुरक्षित-संरक्षित रखवाया है।
तत्समय कुछ लोगों द्वारा इस बेशकीमती मूर्ति को खरीदने का असफल प्रयास किया था। जिसे नगरवासियों ने अमूल्य धरोहर को किसी भी कीमत पर बेचने से इंकार कर दिया। तब एक वर्ग विशेष के लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों से मिलीभगत करके गलत ढंग से आदेश प्राप्त कर लिया है। पुरातात्विक महत्व की मूर्ति को किसी निजी संगठन को देने का यह समूचे देश में संभवतः यह पहला आदेश है।
इसे लेकर नागरिकों में रोष है। नगरवासियों ने आरंग के धरोहर को तस्करी किए जाने का आरोप लगाया है। इसे किसी भी व्यक्ति अथवा संस्था को हस्तांतरित किए जाने का पुरजोर विरोध किया है। आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब ने भी नागरिकों की भावनाओं के अनुरूप मूर्ति को आरंग नगर में ही संरक्षित करने की मांग पर्यटन-संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से की। जिस पर मंत्री ने मंच से ही घोषणा कर मूर्ति को फिलहाल राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक भाण्डदेवल में ही रखने का निर्देश आला अधिकारियों को दिया है।