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आज से शुरू हो रही है रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूजन, 121 वैदिक आचार्य करा रहे धार्मिक अनुष्‍ठान

 अयोध्‍या. रामनगरी अयोध्‍या समेत समस्‍त देश में इस सम उत्‍सवी माहौल है. राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा होगी. इससे पहले राम मंदिर में धार्मिक अनुष्‍ठान और पूजन विधि शुरू हो चुकी है. अयोध्‍या स्थित राम मंदिर पहुंचे पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्‍चार के साथ इसकी शुरुआत की. सबसे पहले प्रायश्चित और कर्म कुटी पूजा की जाएगी. इसके जरिये रामलला से माफी मांगी जाएगी.


दरअसल, रामलला की प्रतिमा बनाने में छेनी और हथौड़े के इस्‍तेमाल के चलते उन्‍हें चोट पहुंची होगी, इसलिए प्रायश्चित और कर्म कुटी पूजा की जाएगी. उधर, प्राण प्रतिष्‍ठा को लेकर अयोध्‍या में तैयारियां जोरशोर से चली रही हैं. मंदिर के गर्भ गृह को पूरी तरह से तैयार कर लिया गया है. सोने के दरवाजे तक लगा दिए गए हैं.

अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां अपने आख़िरी चरण में पहुंच गई है. पूजा अर्चना का दौर भी 16 जनवरी से शुरू हो गया है. 17 जनवरी को भगवान रामलला अपने मंदिर में प्रवेश करेंगे और उसके अगले दिन वो स्वयं गर्भगृह में प्रवेश करेंगे. इस दौरान मंदिर परिसर यज्ञ और हवन चलता रहेगा. 22 जनवरी को राम मंदिर के गर्भ गृह में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा होगी. इस दौरान वैदिक मंत्रोच्‍चार के साथ हवन-पूजन का कार्यक्रम चलता रहेगा. इससे पहले राम मंदिर में गर्भ गृह को पूरी तरह से तैयार कर लिया गया है. गर्भ गृह को सजाने-संवारने में किसी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ी गई है.

मूर्ति निर्माण स्‍थल पर कर्म कुटी पूजा

भगवान रामलला की मूर्ति के निर्माण स्थल पर कर्म कुटी पूजा की जाएगी. विवेक सृष्टि में सुबह 9:00 बजे से शुरू होगी कर्म कुटी पूजा. कर्नाटक की मूर्तिकार अरुण योगीराज की चयनित मूर्ति निर्माण स्थल पर प्रायश्चित एवं कर्मकुटी पूजा होगी. पूजा को देखते हुए राम जन्मभूमि परिसर में की साफ सफाई की गई है. सरयू जल से भव्‍य मंदिर को धोया गया.

प्रायश्चित पूजा

प्रायश्चित पूजा पूजन की वह विधि होती है, जिसमें शारीरिक, आंतरिक, मानसिक और बाह्य इन तीनों तरीके से प्रायश्चित किया जाता है. धार्मिक जानकारों और पंडितों की मानें तो वाह्य प्रायश्चित के लिए 10 विधि स्नान किया जाता है. इसमें पंच द्रव्य के अलावा कई औषधीय व भस्म समेत कई सामग्री से स्नान किया जाता है. इतना ही नहीं, एक और प्रायश्चित गोदान भी होता है और संकल्प भी होता है. इसमें यजमान गोदान के माध्यम से प्रायश्चित करता है. कुछ द्रव्य दान से भी प्रायश्चित होता है, जिसमें स्वर्ण दान भी शामिल है.

 

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