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हिंदू शादी से पहले क्यों किया जाता है कुंडली मिलान, क्या वैवाहिक जीवन पर पड़ता है असर, जानें

 KUNDALI MILAAN :  पूरे छत्तीसगढ़ में शादियों का सीजन शुरू हो गया है. शादी की पहली सीढ़ी यानी रिश्ता तय होने में जन्म कुंडली की विशेष भूमिका रहती है. कई बार आपने भी सुना होगा की विवाह के लिए युवक-युवती की कुंडली नहीं मिल रही या सभी 36 गुण मिल रहे हैं.  ऐसे में एक सवाल निकलकर आता है कि यह जन्म कुंडली कैसे और किसके द्वारा बनाई जाती है. 


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दूल्हा और दुल्हन की कुंडली के गुण मिलाने से यह पता चलता है कि धन संपदा अर्जित करने के लिए और संतान प्राप्ति के लिए आने वाला समय कैसा रहेगा. आपके जीवन में आगे चलकर किसी प्रकार की कोई बाधा तो नहीं आने वाली है. कुंडली और राशि मिलाने से पता लगता है कि जीवन में यदि आगे किसी प्रकार की कोई बाधाएं हैं, तो उन्हें किस तरह से दूर किया जा सकता है.

विवाह दो लोगों के बीच एक ऐसा संबंध होता है जो उन दोनों लोगों को जन्मों के लिए जोड़ देता है. इसलिए विवाह में वर और वधू के गुण मिलाना बहुत आवश्यक माना जाता है. इसके अलावा कुंडली मिलाने से यह भी पता चल सकता है कि कुंडली में कोई दोष है या नहीं. यदि कुंडली मिलाने से किसी प्रकार का कोई दोष निकल आए, तो उसका निवारण समय से किया जा सकता है. ऐसा करने से आने वाले समय में वर और वधू का जीवन सुखमय व्यतीत होगा. ऐसा भी माना जाता है कि कुंडली मिलाने से जीवनसाथी की कोई स्वास्थ्य समस्या या आने वाले जीवन में किसी प्रकार की कोई समस्या तो नहीं है.

विवाह से पहले वर-वधू की कुंडली मिलाने से विवाह के बाद कुंडली में मौजूद ग्रह नक्षत्रों की स्थिति का पता लगाया जा सकता है. कुंडली मिलाने से ये पता लगाया जा सकता है, कि जीवन में क्या बदलाव आने वाले हैं. विवाह के समय कुंडली मिलाते हुए अष्टकूट गुण देखे जाते हैं. मुख्य रूप से कुछ गुणों का मिलान बहुत जरूरी माना गया है. जिसमें नाड़ी दोष, भकूट दोष, गण, ग्रह मैत्री, आदि प्रमुख है. मान्यता के अनुसार यदि किसी की कुंडली में नाड़ी दोष है. तो शादी नहीं करनी चाहिए.


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