कोरबा : पूर्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने कहा, "2018 में, तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष (भूपेश) बघेल साहब, तत्कालीन विपक्ष के नेता (टीएस) सिंहदेव जी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार चुनाव केंद्रीकृत हो गया था।
उन्होंने कहा, "पांच साल में सरकार की ओर से कई काम किये गये। कुछ काम शेष भी थे। हमारी सरकार उस जनादेश का सम्मान नहीं कर सकी जो हमें (2018 में) मिला था। मंत्रियों को जो अधिकार मिलना चाहिए था वह नहीं मिला। पूरे पांच साल तक सत्ता केंद्रीकृत रही और कुछ चुनिंदा लोगों के हाथ में रही और खींचतान का माहौल कायम।
2018 में बड़ा जनादेश मिला, जिसका हम सम्मान नहीं कर सके
जयसिंह ने कहा कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से चुनाव लड़ा था. वो साल 2023 के चुनाव में नहीं दिखा. जय सिंह ने कहा “साल 2018 के चुनाव के समय हम विपक्ष में थे. प्रदेश अध्यक्ष बघेल भूपेश बघेल थे. टीएस सिंहदेव के पास भी अहम जिम्मेदारी थी. तब हम एकजुट थे. जिसके कारण 2018 में बड़ा जनादेश मिला था. लेकिन हम उसका सम्मान नहीं कर पाए. सरकार बनने का बाद बीते 5 साल जो सरकार चलाने का तरीका था, वह एक ही स्थान पर केंद्रीकृत हो गया. मंत्रियों को जो अधिकार मिलने चाहिए थे. वह नहीं मिल पाए, सिर्फ एक स्थान से सेंट्रलाइज होकर कुछ चुनिंदा लोगों के साथ 5 साल तक काम किया गया. जिससे सरकार के कामकाज पर आरोप लगे. खींचतान का माहौल बना. इन बातों का नुकसान कांग्रेस को हुआ. ”
योजनाएं सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र तक सीमित, शहर में सूपड़ा साफ : आगे जयसिंह ने कहा “प्रदेश भर के शहरी क्षेत्र में कांग्रेस बुरी तरह से पिछड़ गई. सरकार ने किसानों पर ध्यान दिया, बेशक उनके काम भी हुए. लेकिन ऐसा लगता है कि, हमारे मुखिया को कहीं ना कहीं यह विश्वास था कि ग्रामीण क्षेत्र की सारी सीट जीत लेंगे तो शहरी क्षेत्र की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन यह भी गलत साबित हुआ. शहरों की सीट भाजपा को मिल गई, शहरी क्षेत्र की सारी सीटों पर कांग्रेस को हार मिली.”