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आरंग के राजा महर की बेटी थी चंदा, लोरिक -चंदा प्रेम गाथा का आठ राज्यों में होता है मंचन

आरंग। लैला-मजनू, हीर-रांझा की तरह  लोरिक-चंदा भी एक प्रेम गाथा है। जानकार बताते हैं इस प्रेम गाथा का मंचन देश के आठ राज्यों में होता है।इस प्रेम गाथा के नायक लोरिक का संबंध आरंग के रीवांगढ़ से माना जाता है। वहीं नायिका चंदा आरंग के राजा महर की बेटी थी।इस गाथा के अनुसार आरंग पहले गौरागढ़ कहलाता था।लोरिक एक चरवाहा ग्वाला  था और राजा महर की बेटी चंदा एक  राजकुमारी। चंदा का विवाह बाल्यावस्था में ही राजा बोडरसाय के पुत्र बावन के साथ हुआ था। किसी कारणों से बावन घर छोड़कर वन चला जाता है।इसी बीच  राजा महर का बोडरसाय के पास चंदा का गौना कराने का संदेश आता है।


तभी बावन के पिता बोड़रसाय ने  गौना के लिए बावन के जगह लोरिक को गौना के लिए भेज देता है। जो पहले से ही विवाहित रहता है।गौना के दरम्यान लोरिक और चंदा  को एक दूसरे को देखते ही प्रेम हो जाता है। और चंदा लोरिक को मन ही मन अपना पति मान लेती है।


जब इस बात की जानकारी चंदा के पिता राजा महर को होती है तो वह क्रोधित होकर चंदा को वापस लाकर  सैनिकों का पहरा लगा देता है।तभी  लोरिक के प्रेम के वियोग में व्याकुल चंदा किसी तरह गांव की एक मल्लिन दाई को लोरिक से मिलाने के बदले पांच मोहर देने को कहती है। लालच में आकर मल्लिन दाई लोरिक को बुलाने बारहपाली का बाजार जाती है। वहां बाजार में लोरिक नशे में धुत्त पड़ा रहता है। तभी  गाय दूहने के बहाने मल्लिन दाई लोरिक को बुलाकर ले आती है जब लोरिक गौशाला में पहुंचते है तो राजकुमारी चंदा को देखकर आश्चर्य में पड़ जाता है। तभी लोरिक और चंदा पासा (चौपड़) खेलते हैं। पासा में यह शर्त होती है कि हारने वाले को जीतने वाले की बात माननी होगी। लोरिक पासे में हार जाता है। इसी बीच अचानक लोरिक की पत्नी दौना मांझर वहां पहुंच जाती है। चंदा और दौना मांझर के बीच झगड़ा होती है। तभी चंदा कसम खाती है कि यदि वह लोरिक को 12 साल के लिए भगाकर नहीं ले गई तो वह राजा महर की बेटी राजकुमारी चंदा नहीं।

 इसके बाद दोनों लोरिक और चंदा कौरव नगर (कलकत्ता) चले जाते हैं जहां लोरिक एक विशाल सेना खड़ा कर उत्तर भारत में अपना साम्राज्य स्थापित कर लेता।आज भी लोरिक की शौर्य और वीरता के कई प्रमाण देखे जा सकते हैं। इस प्रेम गाथा को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग विधाओं में प्रस्तुत किया जाता है। छत्तीसगढ़ में चंदैनी और नाचा विधा में प्रस्तुत किया जाता है। वहीं नगर के चर्चित सामाजिक संगठन पीपला फाउंडेशन इस प्रेम गाथा लोरिक चंदा का विशेष रूप से अध्ययन व संग्रह कर रहे है।आज भी आरंग क्षेत्र के ग्राम रीवा के नाचा कलाकार परमानंद साहू और निषदा के पुरानिक हिरवानी अनेक मंचो पर लोरिक चंदा प्रेम गाथा को प्रदर्शन कर रहे हैं।वही बेमेतरा जिले के ग्राम देउरगांव के कलाकार गौतम चौबे देश भर के विभिन्न राज्यों में लोरिक चंदा प्रेम गाथा का मंचन कर रहे हैं।

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