महासमुंद। सोहम हॉस्पिटल में कुछ दिनों पहले ग्राम जोरतराई बागबाहरा से एक मरीज भर्ती कराया गया। जिसका तीर कमान की लगी चोट से बाहों में गंभीर चोट आया था। उपचार के दौरान पता चला कि जिस हाथ में तीर लगा है, उसमे ऑक्सीजन लेवल बिलकुल भी नहीं बता रहा है और खून की नालियों में खून का प्रवाह नहीं है। सीटी स्कैन के द्वारा यह जानकारी मिली ।
इस प्रकार के चोट में 24 घंटे के अंदर टूटी हुई खून की नालियों को जोड़ना होता है और यह एक इमरजेंसी सर्जरी होता है जिसमें ऑपरेशन के दौरान बहुत ज्यादा खून बहने की आशंका रहती है । इस प्रकार की सर्जरी जिले में पहली बार हुई है। इस प्रकार की सर्जरी को वैस्कुलर सर्जरी कहते हैं। जिसके लिए कार्डियो थोरेसिक सर्जन की जरूरत पड़ती है। यह कारनामा सोहम हॉस्पिटल में किया गया है , अगर 24 घंटों के अंदर यह ऑपरेशन नही किया जाता तो खून का प्रवाह उस हाथ में नहीं होने की वजह से वह हाथ धीरे-धीरे काला पड़ने लगता और उस हाथ को काटने की नौबत आ सकती थी।
लेकिन सोहम हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने,आईसीयू की टीम ने तत्पर इलाज के जरिए 24 घंटे के अंदर उस नस को ऑपरेशन के द्वारा जोड़ा। जिससे खून का प्रवाह पुनः आरंभ हुआ और 10 से 15 दिन बाद मरीज को डिस्चार्ज किया गया। इसी प्रकार का एक और मरीज जो कि ग्राम तमोरा से था जो शीशे का काम करता है,काम करने के दौरान उसका हाथ शीशा में गिरने की वजह से हाथ की नस कट गई थी और उसका वैस्कुलर सर्जरी किया गया था। आज वह पूर्णतः स्वस्थ है।उसके हाथ को कटने से बचाया गया था।
इसी प्रकार का एक और मरीज जो भैंस का सिंग हाथ में जाने की वजह से हाथ की नस कट गई है, उसकी भी अभी सर्जरी हुई है और उसका इलाज अभी सोहम हॉस्पिटल में चल रहा है। इस प्रकार खून की नली कटने का जो सर्जरी है, जिसे वैस्क्यूलर सर्जरी कहते हैं और इसका अर्जेंट उपचार जो चौबीस घंटे के अन्दर करना होता है। इस प्रकार की सर्जरी जो कि पहले केवल बडे शहरों जैसे रायपुर, बिलासपुर,दुर्ग में उपलब्ध थी अब सोहम हॉस्पिटल महासमंद में उपलब्ध है।