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लाफिन कला में 98 वर्षों से हो रहा है रामलीला का मंचन, संस्कृति को बचाए रखने हर साल करते हैं रामलीला का आयोजन

 महासमुंद। जिला मुख्यालय से महज 8 किमी दूर ग्राम लाफिन कला में बीते 98 वर्षों से लगातार रामलीला का मंचन हो रहा है। दशहरा के अवसर पर बाल समाज के उत्साही युवाओं ने इस वर्ष भी एक दिन का रामलीला का आयोजन किया।


लीला मंडली के सचिव रामजी साहू बताते हैं कि बदलते परिवेश में अब लीला मंचन करना बहुत मुश्किल होते जा रहा है। लीला में भाग लेने पात्र नहीं मिलते हैं। बावजूद इस धार्मिक सांस्कृतिक उत्सव को बनाए रखने भर्सक प्रयास किया जा रहा है। गांव की इसी परंपरा और संस्कृति को बचाए रखने हर वर्ष रामलीला का आयोजन किया जाता है।पहले तीन से नौ दिनों तक राम व कृष्ण लीला का मंचन होता था। जिसमें श्रवण कुमार, सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र,राजा मोरध्वज, चरणदास चोर, मयारू भौजी, सती नाग चंपा, जैसे धार्मिक व सामाजिक नाटक के माध्यम से समाज को शिक्षा, संस्कार व संदेश देने का प्रयास किया जाता था। कोविड काल में भी कोविड नियमों का पालन करते हुए राम दरबार की झांकी निकाल कर रावण वध किया गया।

संस्कृति को बचाए रखने हर साल करते हैं रामलीला

गांव के उत्साही युवा महेन्द्र पटेल व गोवर्धन साहू बताते हैं कि गांव मे 98 वर्षों से लगातार चली आ रही परंपरा और संस्कृति को बचाए रखने हर वर्ष रामलीला का आयोजन करते हैं।इनका कहना हैं पहले मनोरंजन का कोई साधन नहीं था। लोग रात-रात भर लीला- नाटक देखा करते थे।बढ़ते संचार क्रांति व सोसल मीडिया के कारण आज की युवा पीढ़ी प्राचीन संस्कृति परंपरा से कटते जा रहे हैं।अब लोगों को इन चीजों में रूचि नहीं है। जबकि पहले ऐसे ही नाटक लीला देख लोग प्रेरित होते थे।

बालिकाओं ने भी लिया रामलीला मंचन में बढ़-चढ़कर भाग

लीला मंडली संचालक जनक राम साहू बताते हैं कि इस वर्ष पुरुष पात्र नहीं मिलने के कारण गांव की बालिकाओं का सहयोग लिया गया। जिसमे कुमारी रूमा साहू,भुवनेश्वरी निषाद,पुष्पा साहू, रूखमणी पटेल, तुलसी यादव ने गणेश, सरस्वती वंदना प्रस्तुत किए। वही एक ही परिवार के चार सदस्यों ने लीला मंचन में बढ़ चढ़कर भाग लिया। जिसमें बच्चे भी शामिल थे।इस मौके पर रामलीला के कलाकारों ने मतदाता जागरूकता का भी संदेश दिया।

लीला मंडली को सहेजने में इन बुजुर्गों का रहा योगदान

स्व. सियाराम साहू, स्व. जीवन साहू, स्व. जगदेव साहू, स्व. उत्तम साहू, स्व. ओनूराम साहू,लीलाराम साहू, सुखेन्द पटेल ने लीला मंडली की शुरुआत की थी। जिसे कीर्तनकार जगदीश साहू, सुकदेव साहू, अनूपराम साहू, मंगतू साहू ने पुरानी पीढ़ी को नई पीढ़ी तक पहुंचाया। जिसे बचाए रखना अब नई पीढ़ी की जिम्मेदारी है। इस वर्ष लीला मंचन में जीवराखन साहू, रामलाल साहू, नाथूराम साहू, महेन्द्र पटेल,नेतन पटेल, टीकाराम पटेल, अजय पटेल,रोशन साहू,योगेश्वर साहू, दरबारी निषाद राधेश्याम साहू,पवन साहू सहित बड़ी संख्या में बाल कलाकारों ने भाग लिया। वहीं मंडली के संयोजन में रामजी साहू, हरिराम साहू, जनकराम साहू, जीवराखन साहू, गोविंद साहू,संतराम साहू,गोवर्धन साहू, महेन्द्र पटेल,ओमप्रकाश साहू, पंचराम साहू, प्रदीप साहू का विशेष योगदान रहा।

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