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Aditya-L1 Mission Launch : जलते सूरज पर कैसे जाएगा ISRO का आदित्य, पढ़े पूरी खबर

 Aditya-L1 Mission Launch: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इतिहास रचने के बाद अब इसरो (ISRO) के कदम सूरज की ओर बढ़ रहे हैं. भारत के पहले सौर मिशन 'आदित्य-एल1' की लॉन्चिंग का काउंटडाउन शुरू हो गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि इसे शनिवार (2 सितंबर) को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी (PSLV) से लॉन्च किया जाएगा.


इसरो ने शुक्रवार (1 सितंबर) को इस मिशन से जुड़ी जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर बताया, "आदित्य-एल1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर, सूर्य की ओर निर्देशित रहेगा, जो पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग 1 प्रतिशत है." 


एल1 क्या है

आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रणाली के लाज्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) के चारों ओर एक हेलो कक्षा में रखा जाएगा। ये जगह धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। फिजिक्स में लार्जेज प्वाइंट्स ऐसे प्वाइंट्स होते हैं जहां दो पिंडो वाली गुरुत्वाकर्षण प्रणाली में एक छोटी वस्तु को जब वहां रखा जाता है तो वो स्थिर रहती है। सोलर-अर्थ सिस्‍टम में पांच लार्ज्रेंज पॉइंट्स हैं। लार्ज्रेंज बिंदु L1 वह है जहां आदित्य एल1 जा रहा है।​ 

पूरी प्रक्रिया में करीब 127 दिन लगेंगे

पीएसएलवी-सी 57 रॉकेट आदित्य को पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाएगा। निचली कक्षा में पहुंचने के बाद ओवल आकार में लाकर प्रोपल्शन की मदद से L-1 प्वाइंट की तरफ भेजा जाएगा। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर होने के बाद क्रूज फेज शुरू होगा और L-1 के पास हैलो आर्बिट में प्लेस किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 127 दिन यानी चार महीने का समय लगेगा। सूर्य असीमित मात्रा में ऊर्जा प्रदान करता है लिहाजा निकट भविष्य में अगर कोई घटना होती है तो उसका पूर्व अध्ययन आगे की स्थितियों के विश्लेषण में अहम जानकारी दे सकेगा।

423 करोड़ रुपए का बजट

आदित्य L-1 मिशन का बजट करीब 423 करोड़ रुपए है। इसे पीएसएलवी-सी 57 से लांच किया जाना है। इसका मकसद क्रोमोस्फीयर, कोरोना, प्लाज्मा फिजिक्स, सोल फ्लेयर्स का अध्ययन करना है। इसके अलावा कोरोनल लूप और कोरोनल तापमान, घनत्व और वेग के बारे में जानकारी हासिल होगी। इसके साथ ही कोरोना में मैग्नेटिक फील्ड, टोपोलॉजी, संरचना और उसकी उत्पत्ति के बारे में जानकारी हासिल की जाएगी। धरती से L-1 प्वाइंट की दूरी 15 लाख किमी धरती से L-1 प्वाइंट की दूरी 15 लाख किमी है। आदित्य को सूर्य की कक्षा के 1-1 प्वाइंट पर स्थापित करना है यानी कि आदित्य L-1 कक्षा से सूरज का अध्ययन करेगा।

सात पेलोड के बारे में जानें

1. विजिबल लाइन एमिसन कोरोनाग्राफ को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स ने तैयार किया है। सूरज की एचडी फोटो लेने के लिए तैयार किया गया है। पेलोड में लगा हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें लेने में सक्षम है।

2. प्लाजमा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए) सूरज की गर्म हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रांस और भारी आयन की दिशाओं का अध्यन करेगा। सूरज की हवाओं में गर्मी है और कणों के वजन से जुड़ी जानकारी मिलेगी। 

3. एसयूआईटी: सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप एक अल्ट्रावायलेट टेलीस्कोप है। ये पेलोड सूरज की अल्ट्रावायलेट तस्वीरों को कैद करेगा। पेलोड सूरज के फोटो स्फेयर और क्रोमोस्पफेयर की तस्वीरें लेने का काम करेगा। 

4. एसओएलईएक्सएस: सोलर लो एनर्जी एक्स रे स्पेक्ट्रोमीटर सूर्य से निकलने वाले एक्स रे और उसमें आने वाले बदलावों का अध्ययन करेगा। ये पेलोड सूरज से निकलने वाली सौर लहरों पर नजर रखेगा और उससे जुड़े आंकड़े जुटाएगा।

5. एचईएल10एस: ये एक हार्ड एक्स रे स्पेक्ट्रोमीटर है। वैज्ञानिकों ने इसे इस तरह से डिजाइन किया है कि वो हार्ड एक्सर रे किरणों यानी सौर लहरों से निकलने वाली हाई एनर्जी एक्स रे का अध्ययन करेगा। 

6.एएसपीईएक्स: इसमें कुल दो पेलोड एकसाथ काम करेंगे। पहला आदित्य सोलर विंड पार्टिककल एक्सपेरिमेंट जो कम ऊर्जा वाला स्पेक्ट्रोमीटर है। ये सूरज की हवाओं में आने वाले प्रोटॉन्स और अल्फा पार्टिकल्स का अध्ययन करेगा। 

7. एडवांस्ट ट्राई एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नोमीटर्स (एमएजी) ये पेलोड सूर्य के चारों ओर मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेगा। इसके साथ ही पृथ्वी और सूरज के बीच मौजूद कम तीव्रता वाली मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेगा।  


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