Monkeypox Cases: पिछले साल दुनियाभर में मंकीपॉक्स वायरस ने कहर बरपाया था. इस वायरस के लाखों मामले सामने आए थे. लेकिन कुछ महीनों बाद यह बीमारी काबू में आ गई थी. इससे केस कम हो गए थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस वायरस को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी के तौर पर खत्म माना था, लेकिन अब मंकीपॉक्स वायरस ने फिर से अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है. बीते एक सप्ताह से स्पेन में इस वायरस के केस आ रहे हैं.
स्पेन की बार्सिलोना पब्लिक हेल्थ एजेंसी ने इस बात की पुष्टि की है. इसी महीने में ही बार्सिलोना में मंकीपॉक्स के 6 केस आ गए हैं. एजेंसी ने आशंका जताई है कि ये वायरस पूरे शहर में फैल सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि जो 6 केस आए हैं ये लोग एक दूसरे के संपर्क में नहीं थे. बाहर से उनमें संक्रमण हुआ है. ऐसे में वायरस के कम्यूनिटी ट्रांसमिशन का भी खतरा बढ़ गया है.
पिछले साल ब्रिटेन से इस वायरस के मामलों की शुरुआत हुई थी. इसके बाद दुनियाभर में मंकीपॉक्स फैला था. भारत में इस वायरस के केस आए थे. मंकीपॉक्स के अधिकतर मामले समलैंगिक पुरुषों में आए थे. 2023 की शुरुआत से ही इस वायरस के मामले दुनियाभर में कम होने लगे थे. अब फिर से वायरस ने दस्तक दे दी है. बार्सिलोना स्पेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. यहां मंकीपॉक्स वायरस के केस आने के बाद अन्य शहरों में भी इस वायरस के फैलने का खतरा बढ़ गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस साल फिर से दुनियाभर में मंकीपॉक्स वायरस फैल सकता है? आइए जानते हैं कि इस बारे में एक्सपर्ट्स का क्या कहना है.
क्या फिर से मंडरा रहा खतरा?
महामारी विशेषज्ञ डॉ. जुगल किशोर बताते हैं कि कोई भी बीमारी या महामारी लंबे समय तक चलती है. भले ही केस ज्यादा नहीं आते हैं, लेकिन दुनिया के किसी न किसी इलाके में कुछ मामले आ सकते हैं. मंकीपॉक्स को लेकर भी ऐसा ही है. यह वायरस हमेशा के लिए खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में कुछ केस आते रहेंगे, लेकिन इससे पैनिक होने की कोई जरूरत नहीं है. इस बार बीमारी का प्रसार ज्यादा नहीं होगा. पिछले बार के संक्रमण (Infection) के कारण लोगों में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन गई है. ऐसे में इस बार कोई खतरा नहीं है, हालांकि जिन इलाकों में इस वायरस के केस आ रहे हैं वहां लोगों को इससे बचाव की जरूरत है. अगर वायरस के लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टर के पास जाएं. इस मामले में देरी न करें.
क्या है मंकीपॉक्स वायरस
मंकीपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है, जो इंसानों को जानवरों के संपर्क में आने से फैलती है. इसका ट्रांसमिशन एक से दूसरे इंसान में भी होता है. मंकीपॉक्स वायरस चेचक की तरह की होता है. इससे संक्रमित होने के बाद हल्का बुखार आता है और स्किन पर दाने निकलने लगते हैं. सबसे पहले साल 1958 में बंदरों में इस वायरस का पहला केस दर्ज किया गया था. उसके बाद साल 1971 में इंसानों में इस वायरस की पुष्टि हुई थी. हालांकि उसके बाद इस वायरस के केस केवल दक्षिण अफ्रीका में ज्यादा आते थे, लेकिन बीते साल ब्रिटेन से लेकर अमेरिका तक में इस वायरस के लाखों मामले आए थे. भारत में भी केस दर्ज किए गए थे.