रायपुर : पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि पिछले पौने पांच सालों में प्रदेश में ऐसी कोई नदीं व घाट नहीं हैं, जहां रेत का अवैध उत्खनन न हो रहा हो। जिधर देखों उधर रेत का अवैध उत्खनन जोरों पर है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में प्रदेश सरकार ने स्वयं स्वीकार है कि केवल 1 जून 2021 से 25 जून 2023 तक बिलासपुर जिले में ही 143 शिकायतें अवैध रेत उत्खनन के प्राप्त हुए है जो की एक चिंता का विषय है जब बिलासपुर जिले में ही सैकड़ों की संख्या में शिकायतें प्राप्त हो रही है तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भूपेश राज में किस तरह से संरक्षण का खेल चल रहा है।
उन्होंने कहा कि अवैध रेत के मोटी कमाई से सीधे सरकारी राजस्व को नुकसान हो रहा है। हाल ही में ही राजधानी के समीप आरंग में चिखली और हरदी डी जहां पर प्रदेश सरकार के संरक्षण में अवैध रेत उत्खनन चल रहा था जो कि कोई आम उत्खनन नहीं है इस उत्खनन से एक दिन में ही 50 लाख रू के राजस्व की हानि हुई और भारी मात्रा में भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राज में छत्तीसगढ़ में एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ रही है.
NGT यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश की अगर बात करे तो उन्हें केवल सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक ही रेत उत्खनन करने का आदेश दिया गया है, जिसके लिए बाकायदा पिटपास भी जारी किए जाते है, लेकिन इस नियम को नजर अंदाज कर रात के अंधेरे में महानदी का सीना चीरकर रेत निकाली जा रही है. उनके आदेशों के बाद भी अवैध रेट उत्खनन हो रहा है भूपेश राज में कांग्रेसियों की मनमानी चल रही है प्रदेश अब एनजीटी के नियमों से भी उपर आ चुके है, जिनके अवैध रेत उत्खनन के कारण लगातार बेकसूरों की जान जा रही किन्तु प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मौन बैठे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राज में जिस प्रकार से माफियाओं का द्वारा अवैध उत्खनन कर छत्तीगढ़ की प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जा रहा है, प्रदेश की प्राकृतिक संरचना ध्वस्त होने के कगार पर है और पूरी कांग्रेस की सरकार नदियों का चीर हरण करने में लगी हुई है। सवाल यह है कि आखिर सरकार इन सब मामले पर मौन बैठकर माफियाओं को संरक्षण क्यों दे रही है? प्रदेश सरकार की मौनता ही अनेक सवालों को जन्म देती है।