देवराज साहू, पटेवा (महासमुंद)। स्कूल छोड़कर आए दिन हड़ताल करने वाले शिक्षकों से छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले का एक शिक्षक बहुत ज्यादा खफा हैं। उनका कहना है कि सरकार को एक ऐसा सख्त कानून बनाना चाहिए, जिससे कि कोई शिक्षक हड़ताल ही नहीं कर पाएं। कोकड़ी स्कूल के शिक्षक गेंदलाल कोकड़िया का मानना है कि एक शिक्षक हड़ताली नहीं हो सकता है।
स्कूल में बच्चों को मध्यान्ह भोजन कराते शिक्षक गेंदलाल कोकड़िया |
और हड़ताल करने वाला सही मायने में शिक्षक नहीं हैं। इसके लिए केंद्र या राज्य सरकार को एक ऐसा कानून अवश्य बनाना चाहिए, जिसमें शिक्षकों के हड़ताल पर सख्त पाबंदी लगाई जानी चाहिए। जीवन विद्या को समर्पित सेवाभावी शिक्षक गेंदलाल का मानना है कि अपनी मांगों को मनवाने के और भी अनेक तरीके हो सकते हैं। बच्चों की पढ़ाई ठप कर, अनेक स्कूलों में तालाबंदी कर हड़ताल पर जाना, सरासर गलत परंपरा है।
शिक्षक सेवा, समर्पण और त्याग का पर्याय है। निज हितलाभ के लिए मासूम बच्चों के मन मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव डालने वाला आंदोलन किसी भी स्तर पर जायज नहीं है। उल्लेखनीय है कि महासमुंद जिले में कोकडी सरकारी स्कूल में अध्यापन कार्य आज भी जारी रहा। कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के हड़ताल की वजह से ज्यादातर स्कूलों में पढाई व्यवस्था ठप हो गई। इससे व्यथित शिक्षक गेंदलाल कोकडिया ने मीडिया से खास बातचीत में कहा कि कोकड़ी स्कूल में बीते 20 साल से वे अकेले शिक्षक हैं। उन्होंने कभी कोई भी हडताल, रैली, आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया। शिक्षा के लिए समर्पित होकर कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। जीवन विद्या की भी यही सीख है कि गुरु का जीवन प्रामाणिकतापूर्वक सफल होता है। असली गुरू दक्षिणा तभी मानी जाती है, जब शिष्य अध्ययन करके खुद गुरु बन जाए।
श्री कोकडिया का कहना है कि हड़ताल रोकने सरकार ठोस कानून बनाएं। शिक्षक हडताल न कर पायें। हड़ताल से बच्चों के मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शिक्षक बच्चों के रोल माडल होते हैं, इसलिये शिक्षकों को हड़ताल कतई नहीं करना चाहिए।