युगे युगीन भारत : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 मई 2023, गुरुवार को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 47वें अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में आगामी राष्ट्रीय संग्रहालय के वर्चुअल वॉकथ्रू का उद्घाटन किया। इसमें बताया गया कि आगामी दिनों में देश में विश्व का सबसे बड़ा संग्रहालय बनने जा रहा है जिसे ‘युगे युगीन भारत’ नाम से जाना जाएगा।
देश में बनने जा रहे इस राष्ट्रीय संग्रहालय को लेकर वर्चुअल वॉकथ्रू वीडियो के माध्यम से संग्रहालय में कहां क्या होगा इसको लेकर विस्तार से जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि आज जब हम अमृत काल से शताब्दी वर्ष की अग्रसर हो रहे हैं भारत के अतीत की अनमोल विरासत वर्तमान के अथक प्रयासों और भविष्य की झलकियों की कहानियां समेटे विश्व का सबसे विशाल संग्रहालय ‘युगे युगीन भारत’ राष्ट्रीय संग्रहालय बनने जा रहा है।
भारत में जहां दुनिया की सबसे बड़ी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, सबसे बड़ा स्टेडियम और 10 हजार फीट ऊंचाई पर बनी विश्व की सबसे लंबी टनल है वहीं अब विश्व का सबसे बड़ा संग्रहालय ‘युगे युगीन भारत’ राष्ट्रीय संग्रहालय बनने जा रहा है। याद हो पीएम मोदी ने कहा था कि कोई भी देश तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक वो अपने इतिहास, अपनी विरासत, अपनी संस्कृति के प्रति अगर वो गर्व करना नहीं जानता है।
यह बेजोड़ संग्रहालय 1 लाख 17 हजार वर्ग मीटर के विस्तार में होगा तैयार
इस संग्रहालय में हमारी युगो पुरानी गाथा को संग्रहित किया गया है। इसके बारे में जानकर हमें अवश्य ही गर्व महसूस होगा। इसमें बताया गया है कि हमारे पूर्वज कौन थे जिन्होंने इस प्राचीन संस्कृति की नींव रखी, जिनके मार्गदर्शन में वैभवशाली सभ्यता का विकास हुआ, जिनके संरक्षण में ज्ञान-विज्ञान की अतुल संपदा विकसित हुई और जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास रचा। भारत का यह बेजोड़ संग्रहालय 1 लाख 17 हजार वर्ग मीटर के विस्तार में बनकर तैयार हो रहा है। इस ऐतिहासिक धरोहर के दोनों खंडों के 950 कक्षों में भारत की लगभग 5 हजार वर्ष पुरानी अतुल सांस्कृतिक ज्ञान संपदा संग्रहित की जा रही है।
भारतीय ज्ञान परंपरा
यहां जानने को मिलेगा भारत की उस ज्ञान परंपरा के बारे में जिसमें युगों पहले भारत ने सुनियोजित नगर व्यवस्था विकसित कर ली थी। यहां सिंधु-सरस्वती सभ्यता की की जानकारी मिलेगी। क्या कभी सोचा है कि क्यों भारत में पर्वतों, समुद्रों, पेड़ों और नदियों की पूजा होती रही है? हजारों साल पहले ही हमारे विद्वान इस बात को जानते थे जिन पांच तत्वों से वो एक सूत्र में बांधा था। वेदों, उपनिषदों में केवल अध्यात्मिक ही नहीं, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, ज्योतिष और विज्ञान जैसे सभी क्षेत्रों का ज्ञान समाहित है। यही नहीं ऋग्वेद में त्वचा रोग विशेषज्ञ ऋषि अपाला का वर्णन मिलता है, सुश्रुत की शल्य चिकित्सा, चरक के सिद्धांत और पतंजलि के अष्टांग योग की प्रासंगिकता हैरान करने वाली है। वहीं विश्व विद्यालयों का प्रचलन भारत में 2 हजार साल से भी पहले से था। तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे अनेक विश्वविद्यालयों को पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त थी। राष्ट्रीय संग्रहालय में इनकी जानकारी के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा से लोगों को परिचित कराया जाएगा।