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महिला ग्रैंड मास्टर वंतिका अग्रवाल भारत की नं . 3 रैंक , अब सुपर टूर्नामेंट पर नजर

भारत की उभरती हुई 21 वर्षीय शतरंज खिलाड़ी वंतिका अग्रवाल का नाम इन दिनों खूब चर्चाओं में हैं। दरअसल, वंतिका देश में तीसरे नंबर की महिला शतरंज खिलाड़ी बन गई हैं। उन्हें ये इनाम उनकी कड़ी मेहनत के बाद मिला है। जी हां, पिछले दो महीनों में उनके लगातार शानदार प्रदर्शन के बाद आज वे इस मुकाम पर पहुंची हैं। वंतिका अंतरराष्ट्रीय मास्टर का खिताब हासिल कर चुकी हैं। इस खिताब को अपने नाम करने वाली वे 11वीं भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ी बन गई हैं।


कैस बनाई भारतीय रैंकिंग में तीसरे पायदान पर जगह ?

उन्होंने शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए कुल 2,428 रेटिंग अंकों के साथ महिला वर्ग में भारतीय रैंकिंग के तीसरे पायदान पर जगह बनाई है। ये उनके करियर की अब तक की सर्वोच्च रैंकिंग है। इस पर खुशी व्यक्त करते हुए शतरंज खिलाड़ी वंतिका अग्रवाल ने कहा, मुझे पता था कि मैं ये कर सकती हूं और मैं ये करूंगी। लेकिन इतनी जल्दी हो जाएगा ये कभी सोचा नहीं था। अब बहुत ज्यादा प्रसन्नता हो रही है।”

अब सुपर टूर्नामेंट खेलना चाहती हैं वंतिका

वंतिका कहती हैं कि उन्हें केवल लड़कियों वाली श्रेणी में कम्पीट नहीं करना बल्कि उन्हें सुपर टूर्नामेंट जहां सभी वर्ल्ड चैम्पियन खेलते हैं, वहां खेलना है। इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें वर्ल्ड चैम्पियनशिप के टाइटल के लिए कम्पीट करना है।

अंतर्राष्ट्रीय मास्टर का खिताब कर चुकी हासिल

वंतिका अंतर्राष्ट्रीय मास्टर का खिताब हासिल करने वाली 11वीं भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ी हैं। देश के प्रतिष्ठित कॉमर्स कॉलेज एसआरसीसी में भाग लेने वाली महिला ग्रैंडमास्टर वंतिका ने पिछले दो महीनों में चार अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। इन स्पर्धाओं में शानदार प्रदर्शन की बदौलत उनकी फीडर रेटिंग में 61 अंकों की वृद्धि हुई है।

दुनिया की सर्वश्रेष्ठ शतरंज खिलाड़ी बनने का है सपना

दरअसल वंतिका पिछले कुछ वर्षों से लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि इस साल 11वीं महिला अंतर्राष्ट्रीय मास्टर का खिताब हासिल करना रहा। वंतिका की इच्छा है कि वे दुनिया की सर्वश्रेष्ठ शतरंज खिलाड़ी बनें। फिलहाल, उनका खेल धीरे-धीरे और बेहतर हो रहा है। इस युवा शतरंज खिलाड़ी को उम्मीद है कि वे इस साल ग्रैंड मास्टर बन जाएंगी।

वंतिका की उपलब्धि के पीछे कौन ?

वंतिका की इस उपलब्धि के पीछे परिवार का भी भरपूर साथ मिला। उनकी मां पेशे से सीए हैं। भागदौड़ के बीच बच्चों के लिए समय निकाल पाना उनके लिए मुश्किल था। वंतिका के सपने को उड़ान देने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और हर कदम पर अपनी बेटी के साथ खड़ी रहीं।

महज 21 साल की उम्र में वंतिका ने बहुत कुछ हासिल कर लिया है। उनके बेहतरीन खेल की प्रशंसा प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुके हैं। इनके अलावा वंतिका को उत्कृष्ट खेल के लिए भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है।

 

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