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बेटे का आरोप- डॉक्टरों ने मृत पिता की किडनी चोरी, अब कब्र खोदकर निकाली गई लाश

बिलासपुर। सड़क दुर्घटना में पिता की मौत के बाद बेटे ने अस्पताल प्रबंधन पर किडनी चोरी का आरोप लगा शिकायत की है। बेटे की शिकायत पर मौत के 25 दिनों बाद कार्यपालिक दंडाधिकारी की मौजूदगी में मृत पिता का शव कब्र खोदकर निकाला गया है। शव का पोस्टमार्टम करवा मामले की जांच की जा रही है।


पचपेड़ी थाना क्षेत्र के ग्राम सोन लोहर्सि में रहने वाले एक 61वर्षीय धरम दास मानिकपुरी की एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। धरम दास मानिकपुरी 14 अप्रैल को अपने बेटे सोमनाथ व बेटी सोनिया की शादी का कार्ड बांटने के लिए बाइक क्रमांक सीजी 04 एलवी 9169 से पामगढ़ के ससहा जा रहे थे इस दौरान साबरिया डेरा सोन के पास सामने से आ रही कार सीजी 11 बीजी 4271 ने उसे टक्कर मार दी थी।

जिसमें घायल होने के बाद धरम दास मानिकपुरी को पहले पामगढ़ के अस्पताल ले जाया गया वहां से उसकी प्राथमिक चिकित्सा कर रेफर कर तोरवा क्षेत्र के एक निजी चिकित्सालय में लाया गया था। जहां से उसे सरकंडा थाना क्षेत्र के प्रथम हॉस्पिटल में ले जाकर भर्ती किया गया। इलाज के दौरान 21 अप्रैल को धरम दास मानिकपुरी की मौत हो गई। मौत के बाद उसके परिजनों ने बगैर पुलिस को सूचना दिए शव को अपने गांव ले जा कफन दफन की रस्म शुरू कर दी। इस दौरान धर्मदास के 21 वर्षीय बेटे दुर्गेश दास को पिता धरमदास के किडनी वाली जगह में स्टिच लगी हुई मिली। जिस पर उसे पिता के संदेहास्पद मौत व किड़नी चोरी की आशंका प्रतीत हुई। उसने स्टिच वाली जगह के फोटो लेकर 8 मई को पुलिस अधीक्षक व कलेक्टर से मिलकर प्रथम हॉस्पिटल के प्रबंधन पर पिता के किडनी चोरी का आरोप लगाया।

शिकायत को एसपी संतोष सिंह ने काफी गंभीरता से लिया और मामले की जांच करवाने का निर्णय लिया। साथ ही पचपेड़ी थानेदार को विधिवत अनुमति लेकर शव को कब्र से निकाल पोस्टमार्टम करवाने के निर्देश दिए ताकि सच्चाई सामने आ सके। जिसके बाद पचपेड़ी थानेदार बृजलाल भारद्वाज ने मस्तूरी एसडीएम से कब्र खोदकर निकालने की अनुमति ली और आज कार्यपालक दंडाधिकारी की मौजूदगी में ग्राम सोन लोहर्सि से शव को कब्र से खोदकर निकाला गया। देर हो जाने के चलते आज शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। कल शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा जिसमें मौत के कारणों के अलावा किडनी के शरीर से गायब होने या ना होने का पता चल पाएगा।

इसलिए है अस्पताल प्रबंधन संदेह के दायरे में

नियम के अनुसार एक्सीडेंटल मौत होने पर या संदेहास्पद मौत, जहरखुरानी से मौत आदि पर संबंधित हॉस्पिटल द्वारा जिस थाना क्षेत्र में हॉस्पिटल संचालित है उस थाने को विधिवत मार्ग की सूचना दें मेमो भिजवाना होता है। पर प्रथम हॉस्पिटल के कर्ताधर्ताओ ने मरने की कोई सूचना सरकंडा थाने को नहीं दी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने मरीज के रेफरल के कागजात बना लिए। जबकि मृतक के बेटे दुर्गेश ने एनपीजी से बातचीत में बताया कि हमारे द्वारा प्रथम हॉस्पिटल के बाद किसी अन्य हॉस्पिटल में पिता का इलाज नहीं करवाया गया था। प्रथम हॉस्पिटल में ही पिता की मौत हो गई थी, जिसकी सूचना वहां के डॉक्टरों ने दी और कुछ कागजातों में साइन करवाएं। साथ ही इलाज के दौरान लगे सारे उपकरण निकालकर हॉस्पिटल की ही गाड़ी में दोपहर 2 बजे हम लोग गांव आने के लिए निकले।

लगभग डेढ़ घंटे में हम गांव पहुंच गए और उसी दिन कफन-दफन के दौरान पिता के शव के किडनी वाली जगह पर लगाई गई स्टिच दिखाई दी। मृतक के पुत्र ने बातचीत में आशंका व्यक्त करते हुए बताया कि हॉस्पिटल प्रबंधन ने अपने बचाव की तैयारी पहले ही कर रखी है और पिता को वहां से दूसरे हॉस्पिटल रेफर की बात कह रहे हैं जबकि हम प्रथम हॉस्पिटल में ही पिता की मौत हो जाने के बाद उनके शव को लाकर दफनाए थे। बहरहाल पुलिस कार्यवाही के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।

 

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