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देवर्षि नारद जयंती समारोह में वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण पाठक सम्मानित

रायपुर। "देश की एकता और अखंडता में पत्रकारिता की भूमिका" विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। राजधानी रायपुर में देवर्षि नारद जयंती समारोह- 2023 का गरिमापूर्ण आयोजन रविवार 14 मई को होटल वेंकटेश में संपन्न हुआ। इस वर्ष पत्रकार प्रवीण पाठक को पत्रकारिता में उनके अमूल्य योगदान के लिए देवर्षि नारद सम्मान प्रदान किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार शगुफ्ता शिरीन थीं। अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल शर्मा ने की।


मंच से सम्मान प्राप्त करने के बाद प्रवीण पाठक ने कहा कि मै एक पत्रकार हूँ और देवर्षि नारद जयंती समारोह के अवसर पर मुझे देवर्षि नारद सम्मान प्राप्त हुआ, यह क्षण मेरे लिए अभिभूत करने वाला है। पत्रकार के नाते मैं स्वयं को गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूँ। जब कोई सम्मान प्राप्त होता है तो जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। मैं इस सम्मान की गरिमा को जीवन भर बनाए रखने का प्रयास करूंगा। इस अवसर पर “सम्मान पत्र” का वाचन सौरभ शर्मा ने किया।

शब्द हैं पत्रकार के हथियार- मिश्र

"देश की एकता और अखंडता में पत्रकारिता की भूमिका" विषय बोलते हुए मुख्य वक्ता जयप्रकाश मिश्र ने कहा- देवर्षि नारद सृष्टि के पहले संचारक हैं, कथाओं को विस्तार दिया है। उनका कार्यक्षेत्र संपूर्ण लोक था, जिसका अर्थ जगत और राष्ट्र था। सभी लोकों का भ्रमण करते थे, पत्रकार भी उन्हीं की तरह कार्य करते हैं। हिंदी के पहले समाचार पत्र उद्दंत मार्तंड का प्रकाशन करने वाले ने भी नारद जयंती की तिथि का चयन किया था। नारद जी की भावना लोक कल्याण की थी, यही भावना पत्रकारिता की भी है। पत्रकारों को भी नारद जी की भावना को अंगीकृत करना चाहिए। शब्द जोड़ते हैं तो शब्द तोड़ते भी हैं। शब्दों में शक्ति होती है, यही पत्रकार का हथियार है। शब्दों में रस भी होता है और रसायन भी होता है। देश की एकता और अखंडता में शब्दों से बल मिलता है। हनुमान जी भी देवर्षि नारद की तरह लोक संचारक हैं।

जयंत इंद्र का बेटा था, राम की परीक्षा लेने माता सीता के पांव पर कौवा बन चोंच मार दिया। राम ने तीर छोड़ दिया, वह भागा, नारद मिले। उन्होंने उनको सलाह दी। राम के शरण में गए, उनकी जान बच गई। नारद ने दो लोगों को जोड़ने का कार्य किया। दुष्ट व्यक्ति को सुधरने का अवसर दिया। उन्होंने संतों को प्रेरणा दी है, श्रीमद्भागवत पुराण लिखने की प्रेरणा महर्षि वेदव्यास को दी।

संवाद और सत्य पत्रकार की पूंजी


पत्रकारिता की विशेषता अरुचिकर विषय को रुचिकर बनाकर समाज का प्रबोधन करना हैं। देवर्षि नारद जी के पास संवाद और सत्य का कवच था, यही पत्रकार की भी पूंजी है। सत्य के मार्ग में बाधाएं आती हैं, देश और समाज की एकता बनाए रखने के लिए पत्रकार को भी संघर्ष करना पड़ता है। वर्तमान पत्रकारिता चुनौती से भरा है, पत्रकारिता करने की परिस्थिति बदल गई है। विश्वसनीयता का संकट है। इसलिए है क्योंकि क्षेत्र में जाकर रिपोर्टिंग करने का काम कम होता जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वेब पोर्टल, सोशल मीडिया के कारण भी वर्त्तमान दौर चुनौती भरा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में समाचार की प्रमाणिकता भी खतरे में है। मीडिया में समाचार के चयन की भी समस्या है, रचनात्मक, उपलब्धिपरक, सकारात्मक समाचार को प्रमुखता मिले और नकारात्मक, अपराध के समाचार को कम महत्व देना चाहिए। दिनभर कार्य करने के बाद जब घर पर जाते हैं और परिवार में जो बात हम बता सकते हैं, वह सही समाचार है।

आँखों देखी रिपोर्टिंग की जरूरत

मुख्य अतिथि शगुफ्ता शिरीन ने कहा, देवर्षि नारद जी ने तीनों लोकों में संचार का कार्य किया और उनका संचार लोक कल्याण के लिए था। उनकी स्वीकार्यता सभी लोकों में हर वर्ग में थी। क्षेत्र में जाकर प्रत्यक्ष देखते थे, आंखों देखी रिपोर्टिंग करते थे। आज सोशल मीडिया से समाचार मिल रहे हैं, उनकी विश्वसनीयता नहीं है। मैंने अनेक मानवीय स्टोरी पर काम किया, जिससे किसी का भला हो। लेकिन आजकल इस तरह के सकारात्मक समाचार लुप्त हो रहे हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल शर्मा ने कहा, आज के विषय पर जिस प्रकार मुख्य वक्ता ने अपनी विस्तृत बात रखी, वह प्रभावशाली थी, ह्रदय को स्पर्श करने वाली थी। देवर्षि नारद जयंती के अवसर पर इस समारोह समिति के द्वारा प्रति वर्ष पत्रकार को सम्मानित करते हैं, इससे पत्रकारों का उत्साह बढ़ता है। बौद्धिक जगत में पक्ष और विपक्ष होता है, देवर्षि नारद जी का सम्मान था लेकिन उनके भी आलोचक थे। पत्रकार को अपनी आलोचना को परे रख कर कार्य करना चाहिए। पत्रकार को दलगत जुड़ाव से परे होना चाहिए, देश के हित में सत्य के साथ अडिग रहना चाहिए। पत्रकार जनता के लिए काम करता है, उनके लिए पत्रकारिता चौथा स्तंभ है। समाज के बीच में पत्रकारों की विश्वसनीयता का संकट है। विषम परिस्थिति के बीच पत्रकारों को अभी भी उम्मीद है, पत्रकार जनता के लिए काम कर पाएंगे। ऐसे पत्रकारों को जनता का समर्थन मिले तो स्थिति सुधरेगी।

देवर्षि नारद जयंती समारोह समिति के अध्यक्ष भास्कर किन्हेकर ने कहा कि आज जिस विषय का प्रबोधन हुआ, उसकी इस स्वाधीनता के अमृत काल में प्रासंगिकता है। आज देवर्षि नारद के बारे में अकादेमिक संस्थाओं में कोई सामग्री नहीं मिलती। ऐसे ही भारत के अन्य महापुरुषों की भी जानकारी नहीं मिलती । इसलिए आज की पीढ़ी महापुरुषों के कार्य से अनभिज्ञ है। देश की एकता और अखंडता तभी बनेगी जब भारत के स्वाभिमान को संस्थाओं के द्वारा प्रचारित किए जाएं, जिसमें पत्रकारिता भी शामिल है। उन्होंने कहा- भारत, भारतीयता के एजेंडे को सामने लाना होगा।

मंचासीन अतिथियों का श्रीफल, शाल तथा स्मृति चिन्ह व साहित्य देकर स्वागत किया गया। इस स्वागत प्रसंग में सभी अतिथियों का परिचय शशांक शर्मा ने कराया। कार्यक्रम का संचालन निशिकांत डोये एवं आभार प्रदर्शन आर कृष्णा दास ने किया। अनेक पत्रकारगण तथा गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी गरिमामयी बनाया।

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