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HC का बड़ा फैसला : ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग होगी

Gyanvapi Verdict: ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और साइंटिफिक सर्वे कराने का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने दिया है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को आदेश दिया- शिवलिंग के अपर पार्ट का सर्वे करें। दस ग्राम से ज्यादा हिस्सा उसमें से न लिया जाए। यह शिवलिंग ज्ञानवापी परिसर में 16 मई 2022 को वुजूखाने में मिला था। वाराणसी जिला जज ने कार्बन डेटिंग की मांग वाली अर्जी को खारिज कर दिया था।


ASI ने गुरुवार को सीलबंद लिफाफा दिया था
 

साइंटिफिक सर्वे के जरिए यह पता लगाना होगा कि बरामद हुआ कथित शिवलिंग कितना पुराना है, यह वास्तव में शिवलिंग है या कुछ और है। मामले में ASI ने गुरुवार को सील बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी।

इससे पहले 20 मार्च को हुई सुनवाई में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) से कोर्ट ने पूछा था कि क्या शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना कार्बन डेटिंग जांच की जा सकती है? याची अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इस जांच से शिवलिंग की आयु का पता चल सकेगा पर अभी तक ASI ने हाईकोर्ट में कोई जवाब दाखिल नहीं किया है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए ASI को जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम मौका दिया था।

ASI की रिपोर्ट पर जिला कोर्ट का फैसला निरस्त

ज्ञानवापी में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया, “हाईकोर्ट में हमने याचिका दायर की थी कि ज्ञानवापी परिसर में 16 मई 2022 को जो शिवलिंग बरामद हुआ है, उसकी साइंटिफिक जांच कराई जाए। जिला कोर्ट ने 14 अक्टूबर 2022 को हमारी याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि साइंटिफिक जांच से शिवलिंग को क्षति पहुंचेगी।

ASI ने हाईकोर्ट के समक्ष 52 पेज की रिपोर्ट पेश की। इसमें IIT रुड़की, IIT खड़गपुर समेत कई संस्थानों के एक्सपर्ट ने बताया कि अब ऐसे कई तरीके हैं, जिससे शिवलिंग को क्षति पहुंचाए बिना जांच की सकती है। हाईकोर्ट ने ASI की इस रिपोर्ट के आधार पर जिला कोर्ट का फैसला निरस्त कर दिया है। शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वे कराने के आदेश दिए हैं।

वाराणसी कोर्ट में 22 मई को होगी अगली सुनवाई

कोर्ट ने ASI के वकीलों से कहा है कि वाराणसी जिला कोर्ट के समक्ष 22 मई को पेश होंगे। इसके बाद जिला कोर्ट इस मामले में आगे आदेश देगा कि कैसे साइंटिफिक सर्वे होना है।” विष्णु शंकर जैन ने बताया कि अब शिवलिंग का सर्वे होना है यह तय हो चुका है। पहले इस पर संशय था। अब वाराणसी जिला कोर्ट तय करेगी कि किस तरह से शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे कराया जाना है।

क्या होती है कार्बन डेटिंग?

कार्बन डेटिंग विधि का इस्तेमाल कर के किसी भी वस्तु की उम्र का पता लगाया जा सकता है। इस विधि के माध्यम से लकड़ी, कोयला, बीजाणु, चमड़ी, बाल, कंकाल आदि की आयु की गणना की जा सकती है। इस विधि से ऐसी हर वो चीज जिसमें कार्बनिक अवशेष होते हैं, उनकी आयु की गणना की जा सकती है।

कार्बन डेटिंग की विधि में कार्बन 12 और कार्बन 14 के बीच का अनुपात निकाला जाता है। किसी पत्थर या चट्‌टान की आयु का पता लगाने के लिए उसमें कार्बन 14 का होना जरूरी होता है। अमूमन 50 हजार साल पुरानी चट्टानों में कर्बन 14 पाया ही जाता है पर अगर नहीं भी है तो इस पर मौजूद रेडियोएक्टिव आइसोटोप विधि से आयु का पता लगाया जा सकता है।

कार्बन डेटिंग के विधि की खोज 1949 में अमेरिका के शिकागो यूनिवर्सिटी के विलियर्ड फ्रैंक लिबी और उनके साथियों ने किया था। इस उपलब्धि के लिए उन्हें 1960 में रसायन का नोबल पुरस्कार दिया गया था। कार्बन डेटिंग की मदद से पहली बार लकड़ी की उम्र का पता लगाया गया था।

 
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