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भारत ’आल थिंग्स टैक्नालाजी’ में दुनिया का अग्रणी देश होगाः राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर

केन्द्रीय कौशल विकास एव उद्यमिता और इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने आज कहा कि सरकार का ध्यान भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एक बाहरी देश के बजाय एक गंभीर, प्रतिस्पर्धी भागीदार बनाने पर है।


राजीव चंद्रशेखर ने नयी दिल्ली में पब्लिक अफेयर फोरम आफ इंडिया (पीएएफआई) की 15वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुये कहा, ’’प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इंडिया टेकएड विजन के हिस्से के तौर पर हमारा मानना है कि आपूर्ति श्रृंखला और वैश्विक मूल्य श्रृंखला में विविधता होगी और यह लगातार होती रहेगी ऐसे में हमारी नीतियां यह सुनिश्चित करने पर केन्द्रित हैं कि इस श्रृंखला में भारत एक प्रतिस्पर्धी, सक्षम भागीदार है।’’

इस संदर्भ में, मंत्री ने वैश्विक मूल्य श्रृंखला एकाधिकार का हिस्सा रहने वाली एप्पल, सैमसंग, सिस्को जैसी कई प्रमुख वैश्विक कंपनियों के बारे में कहा कि ये सभी भारत में आने लगी हैं।

भारत की टेकएड यात्रा के बारे में अपने विचार साझा करते हुये श्री राजीव च्रदशेखर ने कहा कि इंडिया टेकएड भारत के बारे में उस सोच को बदल रहा है जिसमें भारत को केवल आईटी/आईटीई केन्द्र माना जाता रहा है, अब इसका प्रसार हो रहा है, इसमें इंटरनेट और कंज्यूमर-टेक भी शामिल हो गया है और कृत्रिम मेधा (एआई), सेमिकान डिजाइन और उत्पादन, क्वांटम कंप्यूटिंग आदि भी इसमें शामिल होंगे। उन्होंने कहा, ’’हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था की पाई आईटी/आईटीईएस के एकध्रुवीय क्षेत्र से निकलकर आगे बढ़ते हुये वहां पहुंच गई है जहां डिजिटल अर्थव्यवस्था की वह हर गतिविधि शामिल है जिस पर दुनिया जोर दे रही है।’’

सेमिकंडक्टर क्षेत्र के बारे में मंत्री ने कहा, ’’केवल 14 महीने में सरकार ने न केवल विनिर्माण और डिजाइन के क्षेत्र में अवसर पैदा किये हैं बल्कि पूरी तरह से एक नये पाठ्यक्रम के साथ हम जल्द ही न केवल भारत के लिये बल्कि दुनिया के लिये भी 85,000 मेधावी युवाओं को तैयार कर देंगे।’’

राजीव चंद्रशेखर ने विश्वास जताते हुये कहा कि भारत जल्द ही दुनिया में तीसरी अर्थव्यवस्था होगा। ’’इंडिया टेकएड वास्तव में एक ऐसे देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है जो कि आगे बढ़ रहा है। सरकार की सोच बिल्कुल स्पष्ट है। हम 2026-27 तक तीन शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होना चाहते हैं जो कि जापान और जर्मनी के नजदीकी दायरे में है।’’


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