Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

हम आस्तिक है न नास्तिक है, हम हैं वास्तविक

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा आदिवासियों को अपनी परंपराओं के बारे में कहने-सुनने का मंच दिलाने के लिए तीन दिवसीय जनजातीय वाचिकोत्सव-2023 आयोजित की गई है। द्वितीय दिवस के आहुत कार्यक्रम में जनजातीय समुदायों के प्रबुद्धजनों ने जनजातीय तीज-त्यौहार, जनजातीय जीवन संस्कार संबंधी एवं जनजातीय समुदाय की उत्पत्ति संबंधी वाचिक परंपरा के संबंध में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम आस्तिक है न नास्तिक है, हम हैं वास्तविक।

आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान नवा रायपुर में वाचिकोत्सव के दौरान जनजातीय तीज-त्यौहार एवं वाचिक परंपरा, जनजातीय जीवन संस्कार (जन्म, विवाह, मृत्यु इत्यादि) संबंधी वाचिक परंपरा एवं जनजातीय समुदाय की उत्पत्ति संबंधी धारणा एवं वाचिक परंपरा विषय पर प्रदेशभर से आए हुए आदिवासी समुदाय के प्रबुद्धजनों ने कहा कि विभिन्न बोलियां में बोलने वाले लोग हैं और उनके क्षेत्र अनुसार उनकी बोली है। इन समुदाय में उनके आदि पुरूष या पूर्वजों के द्वारा बताई गई कथा, कहानी, लोकोक्ति, देवी-देवताओं की स्तुति विभिन्न अवसरों पर पर्व मनाया जाता है।

जनजातीय जीवन संस्कार में वाचिक परंपरा के संबंध में जनजातीय समाज के लोगों ने सामुदायिक वाचिक परंपरा का अनुसरण करने के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। प्रदेशभर से आए आदिवासी समाज के प्रबुद्धजनों ने कार्यशाला में जनजातीय समुदाय की उत्पत्ति के संबंध में इन समुदायों में उनके आदि पुरूष या पूर्वजों के द्वारा बताई गई कथा, कहानी, लोकोक्ति के माध्यम से लोक गीतों आदि के पीछे छुपी हुई उनकी अवधारणा, मान्यताएं, कहानियों के संबंध में अवगत कराया।

इस अवसर पर जनजातीय आयोग की सदस्य श्रीमती अर्चना पोर्ते, नेशनल बुक ट्रस्ट नई दिल्ली के पंकज चतुर्वेदी, कोण्डागांव निवासी श्रीमती जयमती कश्यप, डॉ. वेदवती मंडावी, प्रमोद पोटाई नारायणपुर सहित अनेक विषय-विशेषज्ञ, प्रबुद्धजन एवं आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.