Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

लेख : अक्ती : अच्छी फसल की कामना के साथ खेती के नए बरस की शुरुआत

रायपुर। वैशाख शुक्ल तृतीया को पड़ने वाला अक्षय तृतीयाका त्योहार छत्तीसगढ़ में अक्ती तिहारके रूप में अपनी पारंपरिक विशिष्टताओं के साथ मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन शुरू किया जाना वाला कोई भी शुभ कार्य व्यर्थ नहीं जाता, बल्कि उत्तम फलदायी होता है। कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ में बहुसंख्य आबादी का प्रमुख कार्य खेती है, इसलिए यहां का खेतीहर समाज भी अच्छी फसल की कामना से इस दिन बीज बोहनी कर खेती कार्य की शुरुआत करता है। इसमें अपने आराध्य देवी-देवताओं को शामिल करते हुए गांव प्रमुख ठाकुर देवता व अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर खेत में बीज बोहनीकी रश्म की जाती है।


ग्राम्य देवी-देवताओं और खेत-बिजहाजोहार के साथ खेती के नए बरस की औपचारिक शुरूआत हो जाती है। जंगल, नदी, पहाड़, पठार, मैदान आदि भिन्न भौगोलिक क्षेत्रों वाले छत्तीसगढ़ में अन्य त्योहारों की तरह अक्ती तिहार भी स्थानीय परंपराओं के हिसाब से कुछ अलग-अलग स्वरूपों में मनाया जाता है, किन्तु मूल में अच्छी फसल की कामना ही होती है।प्रदेश में मौसम की अनुकूलता, किसानों की मेहनत और सरकार की नीतियों से फसलोत्पादन में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही फसलों की खरीदी की भी समुचित व्यवस्था छत्तीसगढ़ सरकार ने की है। 

खरीफ की प्रमुख फसल धान की ही बात करें तो विगत चार वर्षों में प्रदेश में धान खरीदी का ग्राफ निरंतर बढ़ते गया है। वर्ष 2017-18 में 12 लाख 6 हजार किसानों ने 19 लाख 36 हजार हेक्टेयर रकबे में उपजाया 56 लाख 89 हजार मीट्रिक टन धान बेचा था, वहीं इस वर्ष 2022 में 23 लाख 50 हजार किसानों ने 30 लाख 14 हजार हेक्टेयर रकबे में उपजाया 1 करोड़ 7 लाख 53 हजार मीट्रिक टन धान समर्थन मूल्य पर बेचा है। इन आंकड़ों से साफ जाहिर है कि छत्तीसगढ़ में फसल उत्पादन, खेती का रकबा और किसानों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी नीतियों ने प्रदेश में खेती और खेतीहरों की दशा और दिशा दोनों बदल दी है। फसल खरीदी की सुव्यवस्थित व्यवस्था और न्याय योजनाओं ने प्रदेश में खेती को संजीवनी प्रदान की है। किसानों को समर्थन मूल्य के साथ इनपुट सब्सिडी के रूप में राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ दिया जा रहा है। इस योजना के तहत धान की फसल लेने वाले किसानों को 9000 रुपये और धान के अलावा खरीफ की अन्य फसल लेने वाले किसानों को 10,000 रुपये की इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। ये पैसा सीधा किसानों के खाते में जा रहा है। किसानों को खेती किसानी के लिए ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है। 

सरकार के इन सार्थक प्रयासों के परिणाम यह निकला है कि जो किसान खेती से विमुख हो रहे थे या हो चुके थे, वे पुनः खेतों की ओर लौटे हैं और नए उत्साह के साथ खेती और अपनी जिंदगी को संवारने में जुटे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगामी खरीफ सत्र से धान खरीदी की लिमिट प्रति एकड़ 15 क्विंटल से बढ़ाकर 20 क्विंटल करने की घोषणा की है, जिससे किसानों में उत्साह कई गुणा और बढ़ गया है। गोधन न्याय योजना के तहत गोबर और गौमूत्र खरीदी कर जैविक खाद के साथ जैविक कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और वृद्धिवर्धक जीवात्म का निर्माण कर किसानों को रियायती दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है।

इससे धीरे-धीरे खेतों की मिटृी की सेहत सुधरेगी और रासायनिक जहर मुक्त खेती की दिशा में भी छत्तीसगढ़ मॉडल देश-दुनिया को राह दिखाएगा। छत्तीसगढ़ में किसानों की आय बढ़ी है तो खेती में निवेश भी बढ़ता जा रहा है। कृषि यांत्रिकीकरण की ओर बढ़ते हुए किसान बड़े पैमाने पर ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, थ्रेसर आदि खरीद रहे हैं। खेती का दायरा भी बढ़ता जा रहा है, बढ़ते रकबे के साथ खेतीहर मजदूरों को भी भरपूर काम मिल रहा है। राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के तहत सालाना 7000 रुपये भी खाते में आ रहे हैं। 

रोजी-रोजगार के लिए शहरों की ओर दौड़ की प्रवृत्ति में बदलाव नजर आ रहा है। इन सबका गहरा असर हो रहा है, छत्तीसगढ़ समृद्ध खेती और खुशहाल किसान-मजदूर वाले प्रदेश के रूप में पहचान स्थापित करते हुए उन्नति के पथ पर निरंतर अग्रसर हो रहा है। यही कारण है कि यहां अब तीज-त्योहारों में नया उत्साह, नई उमंग नजर आती है। अक्ती के अवसर पर बच्चे भी खुशियां बिखेरेंगे जब पांरपरिक रूप से गांव-गांव, गली-गली पुतरी-पुतरा बिहाव करेंगे। इस रूप में अक्ती नई पीढ़ी को अपनी सामाजिक परंपराओं से रूबरू कराते हुए अपनी जड़ों से जोड़े रखने का त्योहार भी है।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.