मिशन फॉर इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (एमआईडीएच) के तहत द्विपक्षीय सहयोग या अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से विभिन्न राज्यों में उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) की स्थापना की जा रही है। ये सीओई बागवानी के क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियों के लिए प्रदर्शन और प्रशिक्षण केंद्र के रूप में काम करेंगे।। ये सीओई संरक्षित खेती के लिए फलों और सब्जियों की पौध के लिए रोपण सामग्री के स्रोत के रूप में भी काम करते हैं और कटाई के बाद के प्रबंधन, सिंचाई और उर्वरता, पौधों की सुरक्षा, नई किस्मों का परिचय, परागण आदि विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और जानकारियों के हस्तांतरण के लिए उपयोग किए जाते हैं।
मिशन फॉर इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (एमआईडीएच), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने अभी तक 49 सीओई को स्वीकृति दी है, जिनमें से 09-03-2023 को निम्नलिखित 3 सीओई को स्वीकृति दी गई:
- (i) भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर), बेंगलुरु, कर्नाटक द्वारा एक्सपेरीमेंटल स्टेशन, हिरेहल्ली, बेंगलुरु, कर्नाटक में कमलम (ड्रैगन फ्रूट) के लिए सीओई।
- पणिकोइली, जयपुर जिला, ओडिशा में इंडो-इजरायल एक्शन प्लान के तहत आम और सब्जियों के लिए सीओई।
- (iii) सरकारी कृषि फार्म, कोडर, खांडेपार, पोंडा, साउथ गोवा, गोवा में इंडो-इजरायल एक्शन प्लान के तहत सब्जियों और फूलों के लिए सीओई।
बेंगलुरु, कर्नाटक में कमलम (ड्रैगन फ्रूट) के लिए सीओई : इस केंद्र का विजन अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और ऑफ सीजन उत्पादन के तहत नवीनतम उत्पादन तकनीक विकसित करना और ज्यादा उपज हासिल करने के लिए इन तकनीकों का प्रदर्शन करना है। केंद्र का लक्ष्य कमलम फल के उत्पादन में आत्म निर्भरता हासिल करना, मूल्यवर्धन और कृषक समुदाय के लिए आर्थिक विकास को बढ़ाना होगा।
केंद्र बेहतर उपज, पोषक तत्व उपयोग दक्षता, पोषण गुणवत्ता, जैविक और अजैविक दबावों के खिलाफ सहनशीलता, प्रसार तकनीकों का मानकीकरण, सार्वजनिक भागीदारी दृष्टिकोण के माध्यम से गुणवत्ता रोपण सामग्री के वितरण, कटाई के बाद के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल के विकास के साथ ही बेहतर प्रदर्शन विविधता विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके साथ ही, कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने और दूरदराज के बाजारों में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भंडारण, मूल्य वर्धित उत्पादों का विकास और उत्पाद विविधीकरण और ऊंचा राजस्व प्राप्ति के लिए प्रक्रियाएं, किसानों और अन्य हितधारकों को प्रशिक्षण, क्षेत्र के भ्रमण आदि के माध्यम से नई प्रौद्योगिकियों के प्रसार पर जोर दिया जाएगा।
जयपुर, ओडिशा में आम और सब्जियों के लिए सीओई : केंद्र का विजन नर्सरी प्रबंधन, खेती के तरीकों, आम और सब्जियों की फसलों की उच्च गुणवत्ता और बड़ी मात्रा में रोपण सामग्री के उत्पादन में नई जानकारियां तैयार करना है। केंद्र नई किस्मों के प्रदर्शन, सिंचाई में इजरायली कृषि प्रौद्योगिकी, उर्वरता और पौध संरक्षण प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ बेहतर कृषि और कटाई के बाद की प्रबंधन तकनीक पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। केंद्र किसानों के लाभ के लिए सिंचाई, फर्टिगेशन, नर्सरी, कैनोपी और मूल्य श्रृंखला जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित एक प्रशिक्षण मॉडल तैयार करेगा।
पोंडा, गोवा में सब्जियों और फूलों के लिए सीओई : केंद्र गोवा के लिए उपयुक्त सब्जियों और फूलों की उन्नत किस्मों की रोग मुक्त और स्वस्थ सब्जी पौध के उत्पादन के लिए स्वचालित सिंचाई और फर्टिगेशन प्रणाली के माध्यम से उन्नत उत्पादन तकनीक के साथ हाई-टेक नर्सरी प्रबंधन प्रणाली के प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करेगा। केंद्र गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के फसल पूर्व और कटाई के बाद के प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे को भी मजबूत करेगा और सीओई और किसान के क्षेत्र में भी स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप प्रोटोकॉल/दिशानिर्देश विकसित करेगा।