मुख्यमंत्री ने इंदौर में कृषि कार्यसमूह (एडब्ल्यूजी) की जी20 की पहली कृषि प्रतिनिधियों की बैठक (एडीएम) का उद्घाटन किया
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि धरती के स्वास्थ्य की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है।
चौहान ने आज इंदौर में कृषि कार्यसमूह (एडब्ल्यूजी) की जी20 की पहली कृषि प्रतिनिधियों की बैठक (एडीएम) के अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग ने पृथ्वी के स्वास्थ्य और मिट्टी की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसका मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है।”
चौहान ने पर्यावरण के अनुकूल तकनीक अपनाने पर बल देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किये गये प्राकृतिक खेती के अभियान को अपनाना आवश्यक है।
उन्होंने कहा, “भारत सदियों से यह मानता आया है कि प्रकृति का दोहन नहीं होना चाहिए, हमें केवल प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करना चाहिए। प्राकृतिक संतुलन के लिए इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों का अस्तित्व भी जरूरी है।”
चौहान ने कहा कि लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्य सुरक्षा आज विश्व के सामने एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
उन्होंने कहा, “दुनिया की केवल 12 प्रतिशत भूमि कृषि के लिए उपयुक्त है। वर्ष 2030 तक खाद्यान्न की मांग 345 मिलियन टन होगी, जबकि वर्ष 2000 में यह मांग 192 मिलियन टन थी। स्पष्ट है कि न तो कृषि भूमि बढ़ने वाली है और न ही हमारे प्राकृतिक संसाधन बढ़ने वाले हैं।”
चौहान ने कहा कि हमें कृषि भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए भी समुचित प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा, “इसके लिए मशीनीकरण, डिजिटलाइजेशन, नई तकनीक और नए बीजों के उपयोग को लगातार बढ़ावा देना होगा।”
चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक दशक से मध्य प्रदेश में कृषि विकास दर में लगातार सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा, “इस प्रदेश ने देश की खाद्यान्न संबंधी जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह प्रदेश तिलहन के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर रहा है। देश में सोया के उत्पादन में मध्य प्रदेश की 60 प्रतिशत भागीदारी है। मध्य प्रदेश देश में गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक है। हमने प्रदेश में उत्पादन बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किया है। इसमें सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने का कार्य उल्लेखनीय है। वर्ष 2003 में प्रदेश में मात्र 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गई थी। इसे बढ़ाकर अब हम 45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य 65 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का है। प्रदेश में उत्पादन बढ़ाने के लिए नई तकनीक और अच्छे बीजों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।”
चौहान ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ उत्पादन लागत को कम करना भी जरूरी है।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में किसानों को आवश्यक सहयोग देने, उत्पादन लागत कम करने और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बनाने के लिए निरंतर प्रयास जारी है। इस दिशा में नई किफायती तकनीक और मशीनीकरण के उपयोग से किसानों की मदद करने की पहल भी की जा रही है। किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की एक पहल किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को हर साल एक निश्चित राशि उपलब्ध कराई जा रही है। इसमें मध्यप्रदेश ने भी अपनी राशि जोड़ी है। इसका उद्देश्य कृषि की लागत के मामले में किसान का सहयोग करना है।”
चौहान ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना भी जरूरी है।
उन्होंने कहा, “न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा भारत में लागू है। साथ ही, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किसानों की मदद के लिए राज्य व केन्द्र सरकार भी सक्रिय है।”
चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने एक अभियान के रूप में पारंपरिक पोषक अनाजों को बढ़ावा देने का बीड़ा उठाया है।
“प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा पोषक अनाजों को ‘श्री अन्न’ का नाम दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र ने भी इस वर्ष को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है। आइए, हम सब मिलकर हरसंभव यह प्रयास करें कि ये पौष्टिक अनाज धरती से गायब न होने पायें।”
जी20 प्रथम एडीएम के मौके पर, श्री चौहान ने एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया, जिसमें पोषक अनाज पर विशेष जोर देते हुए कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की क्षमता, उपलब्धियों और प्रगति को प्रदर्शित किया गया। मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्टालों का दौरा किया और कृषि उत्पादों का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में पशुपालन और मत्स्य पालन स्टॉल के साथ-साथ पोषक अनाज और इसके मूल्य वर्धित खाद्य उत्पाद आकर्षण का केंद्र थे।