रायपुर। सिंहदेव ने कहा कि भविष्य में चिकित्सक बनकर जहां एक ओर आपको गहरा संतोष होगा, वहीं मानवता की बहुत बड़ी सेवा करने का अवसर भी मिलेगा। डॉक्टरों का काम समाज में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के साथ पूरे समाज की सेवा करेंगे। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि रायपुर मेडिकल कॉलेज के 60वें वर्ष में हम लोग एक नए स्वरूप में शामिल हुए हैं। यह क्षण जीवनभर आपके लिये प्रेरणादायी हो। आप सभी को मानवता की सेवा के क्षेत्र में कदम रखने के लिए हृदय से शुभकामनाएं देता हूं और आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं।
आयुष
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अशोक चंद्राकर ने नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) द्वारा जारी नवीन दिशा-निर्देशों के बारे में बताते हुए नए
विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि व्हाइट कोट डॉक्टरों की एक पहचान है।
अब तक इस महाविद्यालय से करीब चार हजार से ज्यादा चिकित्सक निकलकर देश-विदेश में
अपने संस्थान का नाम रौशन कर रहे हैं। मेडिकल की पढ़ाई काफी कठिन होती है। वर्ष 2019
से एनएमसी द्वारा क्लिनिकल एप्लीकेशन व प्रैक्टिकल पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
इसलिए आप सभी से यह अपेक्षा है कि कक्षाओं में नियमित रूप से उपस्थित रहें। आपने
आज जो शपथ ली है उसे हमेशा याद रखें। यह शपथ ही आपके मेडिकल प्रैक्टिस में
परेशानियों में सही रास्ता दिखाएगी।
अधिष्ठाता
डॉ. तृप्ति नागरिया ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि एम.बी.बी.एस. प्रथम वर्ष के
180 छात्र-छात्राओं को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री की
उपस्थिति में चिकित्सा आचार संहिता महर्षि चरक शपथ दिलाया जाना इस महाविद्यालय के
लिये बड़े गौरव की बात है। पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय
छत्तीसगढ़ का सबसे पुराना चिकित्सा महाविद्यालय है। उस समय यह 60
छात्रों से प्रारंभ हुआ था। इन 60 सालों में निरंतर प्रगति करते हुए आज 180
स्नातक छात्र, 145 स्नातकोत्तर छात्र और 10
चिकित्सक सुपर स्पेश्यलिटी में,
इस तरह लगभग प्रति वर्ष 335
छात्रों का इस कॉलेज में एडमिशन होता है। एनएमसी के अनुसार विगत कुछ वर्षों में
पाठ्यक्रम में काफी बदलाव हुए हैं। एक बेहतर छात्र एवं भविष्य में एक बेहतर
चिकित्सक के रूप में आपको किस तरह तैयार किया जाए इसके लिए निरतंर प्रयास जारी
हैं।
मेडिकल
टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अरविंद नेरल ने मेडिकल प्रोफेशन में निभाए जाने
वाले नैतिक और एथिकल मूल्यों व आदर्शों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एक
चिकित्सक के अंदर सहानुभूति और पीड़ित मरीजों की सेवा करने जैसे नैतिक मूल्य होने
चाहिए। चिकित्सक बनकर आप मरीज की जो सेवा करते हैं, वह सीधे ईश्वर की सेवा
करने के समान है। किसी के जख़्म पर मरहम लगाकर आप सीधे ईश्वर की इबादत करते हैं।
मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन की सचिव डॉ. जया लालवानी ने समारोह में मंच का संचालन
किया। मेडिकल एजुकेशन यूनिट की अध्यक्ष डॉ. मंजू सिंह ने सभी अतिथियों को धन्यवाद
ज्ञापित किया।
समारोह में स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने लगभग 180 विद्यार्थियों और चिकित्सा शिक्षकों के साथ छोटे-छोटे समूह में ग्रुप फोटो खिंचवाए जो इनके लिए ताउम्र यादगार होंगे। कार्यक्रम में डॉ. आर.के. सिंह, डॉ. निर्मल वर्मा, डॉ. विनित जैन, डॉ. सुमित त्रिपाठी, डॉ. स्मित श्रीवास्तव, डॉ. ज्योति जायसवाल, डॉ. पी.के. खोडियार, डॉ. उषा जोशी, डॉ. देवप्रिया लकड़ा, डॉ. पीयूष भार्गव और डॉ. देवप्रिय रथ एवं अन्य चिकित्सा शिक्षक भी मौजूद थे।