आनंदराम पत्रकारश्री.
महासमुन्द। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में महासमुन्द जिले की चारों विधानसभा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। सरायपाली और बसना विधानसभा में भेंट मुलाकात संपन्न हो गया। अगले दो दिनों में खल्लारी और महासमुन्द विधानसभा क्षेत्र के दो-दो गांव में भेंट मुलाकात कार्यक्रम प्रस्तावित है। इस बीच एक चौकाने वाली पुख्ता जानकारी मिली है कि महासमुन्द जिले में एक पद के विरूद्ध दो अपर कलेक्टर की पदस्थापना नियम विरुद्ध कर दी गई है। इनमें से एक संविदा नियुक्ति पर हैं, जो जिला प्रशासन के कथित अवैधानिक कामकाज का सूत्रधार बने हुए हैं। सूत्रों के अनुसार मोटी रकम लेनदेन करके एक सेवानिवृत्त अपर कलेक्टर को पुनः संविदा नियुक्ति पर अपर कलेक्टर बना दिया गया है।
संविदा नियुक्ति की शर्त को धत्ता बताते हुए करीब तीन महीने से अपर कलेक्टर की जिम्मेदारी के पद पर अफसर के जमे रहने से सरकार की किरकिरी हो रही है। नागरिक, प्रदेश में पारदर्शी शासन प्रणाली पर उंगली उठा रहे हैं। प्रबुद्धजन कह रहे हैं कि महासमुन्द में शासन का आदेश नहीं, कतिपय अफसरों का दांव पेंच चल रहा है। नियमित अपर कलेक्टर की नियुक्ति हो जाने के बाद भी संविदा अपर कलेक्टर को पदमुक्त नहीं करने के लिए जिम्मेदारी तय किया जाना चाहिए।
यह है समूचा माजरा
मंत्रालयीन सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार जून-2022 में तत्कालीन अपर कलेक्टर ओ पी कोसरिया सेवानिवृत्त हुए। तब महासमुन्द जिले में अपर कलेक्टर की पदस्थापना नहीं हो पायी थी। तत्कालीन कार्य व्यवस्था के नाम पर छत्तीसगढ़ शासन, सामान्य प्रशासन विभाग की अवर सचिव क्लेमेन्टीना लकड़ा ने एक आदेश जारी कर ओ पी कोसरिया को संविदा नियुक्ति दी। जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि नियमित अपर कलेक्टर की पदस्थापना होने अथवा एक वर्ष की अवधि, जो पहले हो। के साथ ही संविदा नियुक्ति समाप्त हो जाएगी।
इस बीच सितम्बर-2022 में अपर कलेक्टर दुर्गेश वर्मा ने महासमुन्द में नियमित अपर कलेक्टर के रूप में कार्यभार ग्रहण कर लिया है। इसके साथ ही संविदा अपर कलेक्टर ओ पी कोसरिया की संविदा नियुक्ति स्वमेव समाप्त हो गई है। बावजूद, करीब तीन महीने से अवैध रूप से ओ पी कोसरिया अपर कलेक्टर पद पर जमे हुए हैं। यही नहीं, गाड़ी-बंगला-दफ्तरी सबका अवैधानिक रूप से उपभोग कर रहे हैं। सबकुछ जानते हुए भी जिले के जिम्मेदार उच्चाधिकारी नियमानुसार कार्यवाही कर कार्यमुक्त करने के स्थान पर संविदा अपर कलेक्टर का वेतन आहरण के लिए मंत्रालय से मार्गदर्शन मांग रहे हैं। यह अधिकारी की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहा है। इसे लेकर सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने नाराजगी जाहिर की है।
बेरोजगारों में भारी नाराजगी
भाजपा के युवा नेता योगेश्वर चंद्राकर ने निरंकुश अफसरशाही पर लगाम लगाने की मांग करते हुए प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल को पत्र लिखा है। उन्होंने इस तरह की करतूत करने वाले अफसरों के विरुद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि एक ओर हजारों बेरोजगार युवा नौकरी के लिए प्रतीक्षारत हैं। वहीं दूसरी ओर अयोग्य और निकम्मे कार्यशैली वाले कतिपय वयोवृद्ध लोगों को संविदा नियुक्ति के नाम पर गलत तरीके से उपकृत किया जा रहा है। इसे लेकर बेरोजगारों में गहरी नाराजगी है। वेतन, भत्ता और सुविधा प्राप्त करने के एवज में लाखों रुपये इन अफसरों पर खर्च किया जाता है। ये संविदा लोकसेवक जनता का कितना काम कर रहे हैं, इसकी गहन परीक्षण करने की आवश्यकता है। संविदा नियुक्ति स्वमेव समाप्त हो जाने के बावजूद किनके संरक्षण में पद पर बने हुए हैं? इसका परीक्षण कराकर तत्काल दंडात्मक कार्यवाही करें। तब भेंट मुलाकात की सार्थकता है। जनता से जुड़े जिला प्रशासन की निरंकुश कार्यप्रणाली पर मुख्यमंत्री द्वारा अंकुश लगाए जाने पर सबकी निगाहें टिकी हुई है।