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मंत्रालय का आदेश दरकिनार, यहां इस कदर चल रही अफसरशाही !

रायपुर। छत्तीसगढ़ में कुछ स्थानों पर बेलगाम अफसरशाही से सरकार की छवि धूमिल हो रही है। ऐसा ही एक जिला है महासमुन्द। जहाँ जिला प्रशासन के कुछ अफसरों की स्वेच्छाचारिता से आम आदमी परेशान हैं। जन शिकायत के आधार पर महासमुन्द में पदस्थ एडीएम सुश्री नेहा कपूर और एसडीएम भागवत प्रसाद जायसवाल का स्थानांतरण किया गया। उन्हें महासमुन्द से हटाने का आदेश दिया गया था। 




सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 26 अगस्त 2022 को जारी स्थानांतरण आदेश में 29 अगस्त तक एकपक्षीय कार्यमुक्त करने का आदेश है। एक सितंबर को नवीन पदस्थापना में अनिवार्य रूप से कार्यभार ग्रहण कर सामान्य प्रशासन विभाग को अवगत कराने का आदेश दिया गया था। इनकी पदस्थापना नवगठित जिलों में हुई है। बावजूद, शासन के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए एसडीएम जायसवाल अभी भी महासमुन्द में जमे हुए हैं। एडीएम नेहा कपूर तो कार्यमुक्त होकर चली गई है। 

एसडीएम- भागवत जायसवाल

यह भी पढ़ें:- हटाए गए महासमुन्द के एडीएम और एसडीएम, एकतरफा रिलीव करने का आदेश जारी https://www.media24media.com/2022/08/ADM-and-SDM-of-Mahasamund-removed-order-issued-to-relieve-unilaterally.html

महासमुन्द का मोह नहीं छोड़ पाए


मंत्रालय के इस स्थानांतरण आदेश को दरकिनार कर महासमुन्द एसडीएम भागवत जायसवाल 6 सितम्बर की स्थिति में भी महासमुन्द का मोह नहीं छोड़ पाए हैं। मुख्यमंत्री के अनुमोदन और निर्देशानुसार हुए स्थानांतरण को धत्ता बताते हुए अफसर यह साबित करने में लगे हैं कि उनकी मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती है? इस संबंध में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन के एक जिम्मेदार अधिकारी के खुले संरक्षण में वह खुद को खुदा समझ बैठे हैं। अब स्थिति यहां तक आ गई है कि मुख्यमंत्री के अनुमोदन से हुए स्थानांतरण को खुली चुनौती दी जा रही है। यह जन चर्चा का विषय बन गया है। शासन का प्रशासन तंत्र पर नियंत्रण नहीं है? 

विवादास्पद लोकसेवक हैं एसडीएम !

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एसडीएम जायसवाल विवादास्पद लोक सेवक हैं। जहां भी रहे हैं, विवादों से गहरा नाता है। सूत्र बताते हैं कि न्यायाधीश पत्नी को इस कदर प्रताड़ित किया कि उन्हें जुर्म दर्ज कराना पड़ा। पत्नी को प्रताड़ित करने के मामले में उच्च न्यायालय से 50 हजार रुपये के जमानत पर रिहाई आदेश मिला है। अब आम आदमी के साथ ज्यादती कर रहे हैं। वकीलों के साथ दुर्व्यवहार करना, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ दुर्व्यवहार, बिना मुआवजा दिए दर्जनभर मकानों को तुमगांव रोड रेलवे ओवरब्रिज के लिए बलपूर्वक तोड़ने, डायवर्सन प्रकरणों में मनमाफिक वसूली, नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव में एक पक्ष से मिलीभगत कर अनुचित लाभ पहुंचाने, जैसे अनेक आरोपों से घिरे अधिकारी को आखिर किसका संरक्षण हासिल है? यह चर्चा का विषय बना हुआ है। 

कलेक्टर की चुप्पी आश्चर्यजनक

एसडीएम के स्थानांतरण और एकपक्षीय कार्यमुक्ति आदेश का पालन नहीं होने के सवाल पर कलेक्टर नीलेश कुमार क्षीरसागर की चुप्पी आश्चर्यजनक है। उन्होंने इसका कारण पूछने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। 



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