छत्तीसगढ़ में पेट्रोल-डीजल संकट देखने को मिल रहा है। इस बीच किसान नेता पारसनाथ साहू ने कहा कृषि कार्य सिर पर है। धान नर्सरी बोनी प्रारंभ हो चुका है। 75% किसान ट्रैक्टर से जुताई बुवाई पर निर्भर है। पूरे देश समेत छत्तीसगढ़ के अधिकांश भाग में एचपी का पेट्रोल पंप को डीजल आपूर्ति ना हो पाने के कारण किसानों को डीजल के लिए भटकना पड़ रहा है। सरकार को चाहिए कृषि कार्य को प्राथमिकता देते हुए तत्काल डीजल उपलब्ध कराएं। अगर डीजल संकट गहराया तो धान बोने पर गंभीर असर पड़ेगा।
कई किसान धान बोने से वंचित रह सकते हैं। आरोप-प्रत्यारोप लगाने और सच को छिपाने से डीजल-पेट्रोल पंप तक पहुंच पाएगा ना किसानों तक। जिन क्षेत्रों में डीजल पेट्रोल पंप बंद हो चुके हैं उस क्षेत्र की जनता और किसान दूर से चलकर जिस पंप में डीजल उपलब्ध है वहां लंबी लाइन लगा रहे हैं, जिससे काफी अव्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है। किसान नेता ने कहा कि छत्तीसगढ़ में मानसून प्रवेश कर चुका है। बारिश होते ही किसान ट्रैक्टर लेकर तेज गति से कृषि कार्य चालू कर देंगे। इसीलिए कृषि कार्य को प्राथमिकता देते हुए उत्पन्न समस्याओं को दूर करते हुए तत्काल सूखे पेट्रोल पंप तक डीजल पहुंचाएं, ताकि बिना सूचना के किसानों को उग्र प्रदर्शन करने सड़क पर ना उतरना पड़े।
पेट्रोल-डीजल की कमी
पेट्रोल पंप संचालकों ने बताया कि 2 से 3 टैंकर के लिए एडवांस पेमेंट कर चुके हैं, लेकिन कंपनियां सप्लाई नहीं कर रही हैं। मंदिर हसौद एचपीसीएल डिपो के बाहर टैंकरों की लंबी कतार देखने को मिली। पंप संचालकों का कहना है कि केंद्र ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम कर दी। पंप संचालकों ने बढ़ी हुई दरों पर पेट्रोलियम पदार्थों को खरीदा था, लेकिन अब कम की गई दरों पर डीजल बेचना पड़ रहा है। पेट्रोल-डीजल का पेमेंट एडवांस रहता है, इसलिए पंप संचालकों को सीधा घाटा हो रहा है। छत्तीसगढ़ पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि इंडियन ऑयल पंपों में सप्लाई अभी सही है। HPCL और BPCL में थोड़ी दिक्कत है। इधर निजी रिलायंस और एस्सार कंपनियों के पंपों में भी सप्लाई में कमी है, जिससे परेशानी हो रही है।