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प्रशासकीय सक्रियता से 14 बाल विवाह रोकने में मिली सफलता

बाल विवाह जैसी समाजिक कुरीति को रोकने के लिए राज्य सरकार के निर्देश पर जिलों में प्रशासन द्वारा गठित टीम के द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है। कोरिया जिले में टीम ने इस साल 14 बाल-विवाह रोकने में सफलता पाई है। इससे कई मासूम जिंदगियों को फिर से खेलने-पढ़ने और जीवन जीने का अवसर मिल सका है। 

बीते दिनों में बैकुंठपुर के कसरा गांव और खड़गवां विकासखंड के उधनापुर गांव में बाल विवाह का प्रकरण संज्ञान में आने पर टीम ने मौके पर पहुंच कर दोनों विवाह रूकवाए। दोनों ही मामलों में प्रमाणपत्रों का निरीक्षण करने पर बालिकाओं की आयु 18 साल से कम पाई गई। महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी के नेतृत्व में जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम के द्वारा दोनों पक्षों से बात-चीत कर पंचनामा तैयार किया और बाल-विवाह को रोकने के लिए मनाया गया। इस मौके पर किशोर पुलिस इकाई के सदस्य भी मौजूद थे।

बाल विवाह एक सामाजिक बुराई

बता दें कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई ही नहीं बल्कि कानूनन अपराध भी है। बाल  विवाह  प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर और वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बराती समेत विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। वर या कन्या बालिग होने के बाद विवाह को शून्य घोषित करने के लिए न्यायालय में आवेदन भी कर सकते हैं। बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु-मृत्यु दर और मातृ-मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है। जनप्रतिनिधियों, नगरीय निकाय और पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों, स्वयं सेवी संगठनों और आमजनों से सहयोग प्राप्त करके ही इस कुप्रथा के उन्मूलन के लिए कारगर कार्रवाई की जा सकती है । 

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