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नरवा ने बदल दी सरकारी नौकरी की चाह, BSC पास कुरसो के खेत में लहलहा रही मिर्च की फसल

मिर्ची औरों के लिए तीखी होती होगी, लेकिन मेरे लिए तो बहुत मीठी है। पिछले 6 महीने में मिर्च बेचकर 4 लाख रुपए कमाए हैं। मेरे खेत में पूरी सिंचाई नरवा (नाला) से ही हो रही है। कोंडागांव जिले में बड़े कनेरा गांव के किसान कुरसो लाल अपने खेत की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि आप खुद देखिए मेरे खेत में मिर्च की लहलहाती हुई फसल। कुरसो लाल के खेत के पास से ही मार्कण्डेय नाला गुजरता है, जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप नरवा विकास कार्यक्रम के तहत जल संरक्षण के लिए नाले में ब्रश वुड चेक डेम, लूज बोल्डर चेक डेम, गेबियन संरचना, परकोलेशन टैंक का निर्माण किया गया है। 

कुरसो लाल बताते हैं कि खेत के बगल में ही नरवा है। जिसमें नरवा विकास कार्यक्रम के तहत कार्य किया गया है, इस वजह से नाले में अब साल भर पानी का भराव रहता है। वहां से पंप के जरिए खेत तक पानी लाते हैं और ड्रिप इरिगेशन करते हैं। आम तौर पर पढ़ाई लिखाई करने के बाद युवाओं में सरकारी नौकरी की चाह होती है। कुछ ऐसा ही कुरसो लाल के मन में भी था, लेकिन नरवा योजना ने उनका मन और किस्मत दोनों को बदल दिया। कुरसो लाल ने बताया कि BSC बायोलॉजी करने के बाद कुछ दिन नौकरी के लिए कोशिश की, लेकिन फिर देखा कि खेत के बगल में ही नाला है और पड़ोसी भी अच्छी फसल ले रहे हैं तो क्यों नहीं सरकार की नरवा योजना के तहत लाभ उठाया जाए। 

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर राज्य में संचालित सुराजी गांव योजना के नरवा विकास कार्यक्रम के तहत राज्य में बरसाती नालों का उपचार करके वर्षा जल के रोकथाम तथा भू-जल संवर्धन को बेहतर बनाने का काम किया जा रहा है। इसके तहत अब तक राज्य के मैदानी और वनांचल में लगभग 9 हजार नालों का उपचार करके विभिन्न प्रकार की संरचनाएं बनाई गई है। आगामी 2 सालों में लगभग 21 हजार सालों का उपचार किया जाने का लक्ष्य है। जिन-जिन इलाकों में जहां नालों का उपचार किया गया है, उसमें अब साल भर पानी का भराव तक रहने लगा है, जिसका लाभ नाले के किनारे के स्थित किसान उठाकर दोहरी और नगदी फसल उपजाने लगे हैं। 

कर्ज माफी का भी मिला लाभ

नालों का उपचार होने से संबंधित इलाकों के भूजल स्तर में वृद्धि हुई है। हैंडपंप और कुओं के पानी का जल स्तर ऊपर उठा है। कुरसो लाल अपने दो एकड़ खेत मे धान की फसल भी लेते हैं। पिछले साल धान बेचकर 65 हजार रुपये और बोनस भी मिला है। वे बताते हैं कि मुख्यमंत्री के वादे के अनुसार उनका 65 हजार का कर्जा भी माफ हुआ था। कुरसोलाल बताते हैं कि वे रासायनिक खाद का नहीं बल्कि घर में 16 गाय-भैंस हैं, जिनके गोबर से वे ऑर्गेनिक खाद बनाते हैं और उसे ही खेत मे उपयोग करते हैं।

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