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कान से संबंधित रोगों की जांच और इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में निशुल्क सुविधाएं

हमारे कान शरीर का अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण अंग है। यह श्रवण शक्ति के साथ ही हमारे शरीर को संतुलित बनाए रखता है। आज की इस शोरगुल भरी जिंदगी में कान का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। कान में दर्द, कान में संक्रमण, कान में भारीपन किसी भी समस्या को नज़रअंदाज़ न करें। यह समस्या समय के साथ बहरेपन की वजह भी बन सकता है।

कान की देखभाल कैसे करें

नहाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कान में पानी न जाए। कान में मैल और गंदगी की परत न जमने दें और कान की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। कान में खुजली होने पर किसी नुकीली वस्तु, तेल या अन्य कोई तरल पदार्थ न डालें, गंदी और संक्रमण फैलाने वाली किसी भी चीज से कान की सफाई न करें। कान के दर्द को बिल्कुल नजरअंदाज न करें।

आजकल मोबाइल फोन का इस्तेमाल जितना तेजी से बढ़ा है, उसका बुरा असर भी कानों पर पड़ता दिख रहा है। ईयर प्लग से मोबाइल में ज्यादा तेज म्यूजिक सुनने या फोन पर लंबी बात करने से बचें। फोन को गर्दन और कानों के बीच दबाकर सुनने की आदत भी परेशानी खड़ी कर सकती है, इससे बचें। घर का कोई सदस्य तेज आवाज में टीवी देखता है और आपके बार-बार पुकारने पर भी नहीं सुनता तो इसे नजरअंदाज न करें। गले और शरीर की एलर्जी की वजह से भी कान के पर्दे के पीछे पानी जमा हो सकता है, इससे पीड़ित को कम सुनाई देने के साथ-साथ कान में दर्द की शिकायत भी रहती है। 

एक लाख 61 हजार 393 लोगों की जांच

यही आगे जाकर कान में मवाद और संक्रमण का कारण बन जाती है। कान संबंधी किसी भी समस्या का इलाज तुरंत अपने नजदीकी शासकीय स्वास्थ्य केंद्र जाकर या चिकित्सक से जांच करवाएं । राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. शैलेंद्र अग्रवाल ने बताया कि साल 2021-22 में प्रदेश के 28 शासकीय चिकित्सालयों में कान से जुड़ी समस्याओं वाले एक लाख 61 हजार 393 लोगों की जांच की गई। इनमें से 13 हजार 989 लोग बधिरता से ग्रसित पाए गए। बधिरता से पीड़ित 2798 रोगियों की माइनर सर्जरी और 157 रोगियों की मेजर सर्जरी की गई। 

2399 लोगों को स्पीच थैरेपी 

1912 लोगों को हियरिंग ऐड और 2399 लोगों को स्पीच थैरेपी भी दी गई है। उन्होंने बताया कि कान संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या को हल्के में न लें। इससे संबंधित कोई भी जाँच आप अपने निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल या शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में जाकर करवा सकते हैं।

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