नीति आयोग छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे कामों की लगातार सराहना कर रही है। इसी कड़ी में नीति आयोग ने फिर नारायणपुर जिले के मां दंतेश्वरी स्व-सहायता समूह की महिलाओं के कामों की सराहना की है। नीति आयोग ने ट्वीट कर महिलाओं की सराहना की है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि आकांक्षी जिला नारायणपुर में संचालित दंतेश्वरी स्व-सहायता समूह की महिलाएं अब तक प्रसंस्करण काम से लगभग 4 लाख रुपए कमा चुकी हैं। महिला समूह शासन की योजनाओं का लाभ लेकर कोदो, कुटकी और रागी का उत्पादन कर 15 से 20 हजार रुपए की मासिक आमदनी कर रही है। इनसे आर्थिक आत्मनिर्भता सीखना चाहिए।
देश के आकांक्षी जिला में शामिल छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के पालकी गांव में मां दंतेश्वरी महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं कोदो-कुटकी प्रसंस्करण काम से जुड़कर अपनी आमदनी में निरंतर इजाफा कर रही हैं। समूह की महिलाओं ने बताया कि उनके समूह में 10 महिलाएं सक्रिय होकर काम कर रही है। महिलाओं ने बताया कि समूह में जुड़ने के पहले वे कृषि विज्ञान केंद्र केरलापाल में रोजी-मजदूरी का काम करती थी, जिसमें उन्हें 120 रूपए से 150 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी मिलती थी, जो जीवन-यापन के लिए पर्याप्त नहीं था। इसके अलावा घर के जरूरत की पूर्ति के लिए गांव में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना में भी काम कर रही थी।
समूह की महिलाओं ने बताया कि कोदो, कुटकी रागी प्रसंस्करण और पैकेजिंग इकाई केंद्र शुरू करने का प्रोत्साहन कृषि विज्ञान केंद्र और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका योजना से मिला। समूह को कृषि विज्ञान केंद्र के जरिए प्राप्त प्रशिक्षण और कोदो, कुटकी, रागी प्रसंस्करण, पैकेजिंग इकाई प्रदान किया गया। वहीं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका योजना बिहान से प्राप्त आर्थिक सहयोग जैसे बैंक लिंकेज 5 लाख रुपए, चक्रिय निधि - 15 हजार रुपए प्राप्त है। इस राशि से कोदो, कुटकी, रागी प्रसंस्करण कार्य शुरू किया।
Self Help Groups (SHGs) in #AspirationalDistrict Narayanpur are inspiring #women👭 to become financially independent!By producing 𝐊𝐨𝐝𝐨, 𝐊𝐮𝐭𝐤𝐢 & 𝐑𝐚𝐠𝐢, the women of Danteshwari SHG have been able to earn over Rs 4 lakh from processing work.— NITI Aayog (@NITIAayog) March 8, 2022
35 रुपए की दर से कोदो, कुटकी की खरीदी
इस कार्य को करने के बाद धीरे-धीरे मां दंतेश्वरी महिला स्व-सहायता समूह के सदस्यों को अच्छे आमदनी होने लगी। समूह के 3 सदस्य गांव-गांव में जा कर कोदो, कुटकी, रागी किसानों से कोदो कुटकी 35 रुपए की दर से खरीदने का काम करते हैं। खरीदी करने के बाद उसे प्रसंस्करण केंद्र में प्रसंस्करण काम करते हैं। फिर पैकेजिंग करके स्थानीय बाजार, दुकान और बाहरी बाजार में भी थोक और चिल्लर में बेचते हैं, जिससे समूह को बीते कुछ महीनों में ही 4 लाख रुपए की आमदनी हो गई है।