Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला विकास पथ पर तेजी से बढ़ा रहा कदम

Document Thumbnail

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही छत्तीसगढ़ का 28 वां नवगठित जिला है। 10 फरवरी 2020 को अस्तित्व में आए जिले की दूसरी वर्षगांठ 10 फरवरी 2022 को अरपा महोत्सव के रूप में मना रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार किसानों, वनवासियों, मजदूरों और गरीब तबकों के कल्याण और इनके आर्थिक तरक्की के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसी सोच के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिले की जनता को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने और सरकारी कार्यालयों से संबंधित काम काज को सुलभ-सरल बनाने के लिए गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले का गठन किया है। नए जिले को छोटे रूप मे GPM कहते हैं। 

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर और देश की राजधानी नई दिल्ली से सीधे रेलमार्ग से जुड़ा है। जिले की कुल क्षेत्रफल 2307.39 वर्ग किलोमीटर है। जनगणना 2011 के मुताबिक जिले की कुल जनसंख्या 3 लाख 36 हजार 420 है। जिले में तीन तहसील-गौरेला, पेंड्रा और मरवाही, दो अनुविभाग पेंड्रारोड और मरवाही, तीन जनपद पंचायत गौरेला, पेंड्रा और मरवाही, दो नगर पंचायत पेंड्रा और गौरेला, 162 ग्राम पंचायत और 225 गांव शामिल है। 

नए जिले को जल्द से जल्द व्यवस्थित रूप से स्थापित करने और प्रशासनिक काम-काज में गति लाने के लिए कंपोजिट बिल्डिंग निर्माण की प्रक्रियाएं प्रगति पर है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में जिले के प्रभारी और राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत, विधायक के. के. ध्रुव और जिला प्रशासन के समन्वित प्रयासों से कम संसाधनों के बावजूद भी बीते 2 सालों में जिले में अधोसंरचना विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, बिजली, पानी के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है।

जन आकांक्षाओं के अनुरूप यहां के स्थानीय निवासियों को सरकारी सेवाओं में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नौकरी देने के लिए विशेष कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड का गठन किया गया है। इसके तहत भर्ती प्रक्रिया जारी है। राज्य सरकार द्वारा लोगों को आजीविका के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन का गठन किया गया है। इस पर भी जिले में तेजी से काम शुरू हो गया है। नई औद्योगिक नीति 2019-24 के तहत जिले में 97 प्रस्तावित नए इकाइयों ने उद्यम आकांक्षा प्राप्त किया है, जिसमें 55 करोड़ 94 लाख रु का पूंजी निवेश और 979 लोगों का रोजगार प्रस्तावित है।

रहवासियों के लिए बारहमासी आवागमन की सुविधा

जिले में अधोसंरचना विकास के तहत 42 करोड़ रूपए की लागत से गौरेला रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण किया गया। 2 करोड़ 11 लाख रु की लागत से कंचनडीह-बारीउमराव मार्ग पर सोन नदी पर पुल और पहुंच मार्ग का निर्माण किया गया। पुल बनने से 10 गांवों के लगभग 12 हजार 135 रहवासियों को बारहमासी आवागमन की सुविधा मिल रही है। इसी तरह 5 करोड़ 29 लाख रूपए की लागत से सेमरदर्री-पसान मार्ग में सुखाड़ नाला पर उच्चस्तरीय पुल और पहुंच मार्ग का निर्माण किया गया है। इससे 6-7 ग्रामों के लगभग 8 हजार 576 रहवासियों को बारहमासी आवागमन की सुविधा मिल रही है।

रबी मौसम में सिंचाई में बढ़ोतरी

जिले में सिंचाई का रकबा बढ़ाने की दिशा में काम चल रहा है। मटियाडांड जलाशय जीर्णोद्धार के लिए मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप शीर्ष काम के लिए 37 लाख 12 हजार स्वीकृत की गई है। शीर्ष कार्य के निविदा कार्य की लागत 25 लाख 60 हजार रु है। ये काम मार्च 2022 तक पूरा होगा। इससे 50 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ मौसम में सिंचाई होगी। राजाडीह जलाशय के लिए लगभग 6 करोड़ 35 लाख स्वीकृति किया गया है, जिसका काम शुरू हो चुका है। इसके निर्माण से 250 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ मौसम में और 130 हेक्टेयर क्षेत्र में रबी मौसम में सिंचाई में बढ़ोतरी होगी। 

जलाशय मध्यम परियोजना निर्माण

सोन नदी पर कोलबिर्रा जलाशय मध्यम परियोजना निर्माण के लिए प्रथम चरण में 208 करोड़ 10 लाख स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। इस योजना से 3500 हेक्टेयर में खरीफ और 1000 हेक्टेयर में रबी मौसम में सिंचाई प्रस्तावित है।  जिलेवासियों को निर्वाध बिजली और शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए बीते 2 सालों बेहतर कार्य हुए है। मुख्यमंत्री विद्युत अधोसंरचना विकास योजना के तहत बस्ती, दुबटिया और आमाडांड में 33/11 KV विद्युत उपकेंद्रों की स्थापना की गई है। जिले में बिजली बिल हॉफयोजना के तहत धरेलू उपभोक्ताओं को 400 यूनिट हर महीने खपत की सीमा तक के 20 हजार 242 उपभोक्ताओं को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। पेयजल के लिए विभिन्न योजनाओं-नलकूप, हैंडपंप, नलजल, सोलर पंप अधारित जल प्रदाय, जल जीवन मिशन के तहत घरेलू नल कनेक्शन, मिनी माता अमृत धारा नलजल और जल आर्वधन योजना के माध्यम से समुचित प्रबंध किए गए हैं।

वन संसाधन अधिकार पत्र का वितरण 

जिले के किसानों और खेती किसानी के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों मे गति आई है। भुईया कार्यक्रम के अंतर्गत जिले मे समस्त भू-अभिलेखों की ऑनलाइन प्रविष्टि की जा चुकी है। जिले में 1610 अविवादित नामांतरण, 1551 विवादित नामांतरण, 57 अविवादित खाता विभाजन, 792 विवादित खाता विभाजन और 786 सीमांकन प्रकरणों का निराकरण किया गया है। व्यपवर्तित भू-भाटक योजना के तहत जिले में 64 हितग्राहियों को प्रमाण-पत्र जारी किया गया है। इससे शासन को 9 लाख 20 हजार 983 रूपये की आय प्राप्त हुई है। जिले में 1676 (रकबा 541 हेक्टेयर) व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र, 106 (रकबा 16450 हेक्टेयर) सामुदायिक वन अधिकार पत्र और 59 (रकबा 43717.) सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र का वितरण किया गया है।

1 करोड़ 66 लाख 12 हजार रु का भुगतान

जिले में राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के तहत 3029 व्यक्तियों को चिन्हाकित किया गया है। जिले में लगभग 68 हजार 126 किसान हैं। इनमें लगभग 51 प्रतिशत सीमांत, 39 प्रतिशत लघु किसान और 10 प्रतिशत बड़े किसान हैं। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 13 हजार 423 किसानों को 75 करोड 72 लाख रूपए भुगतान की गई। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 20 हजार 887 किसानों के फसलों का बीमा किया गया है। इसमें से 2983 किसानों को 3 करोड़ 11 लाख 57 हजार रूपये दावा राशि का भुगतान किया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 8 हजार 306 किसानों को नौवीं किश्त के रूप में 1 करोड़ 66 लाख 12 हजार रूपए का भुगतान किया गया है।

शिक्षा के साथ प्रशिक्षित शिक्षकों की सुविधाएं 

स्थानीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजित करने वन धन योजना के तहत 52 लघु वनोपजों की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है। इसके लिए मनरेगा योजना से 19 लाख रूपए की लागत से खोडरी और दानीकुंडी में वन धन केंद्र स्थापित किया गया है। जिले में शैक्षणिक विकास के तहत विकासखंड गौरेला के सेमरा, विकासखंड पेंड्रा के भर्रापारा  और मरवाही में स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय संचालन हो रहा है। इन विद्यालयों में 1348 विद्यार्थी निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इन विद्याालयों में लाइब्रेरी, विज्ञान प्रयोगशाला, शारीरिक शिक्षा के साथ प्रशिक्षित शिक्षकों की सुविधाएं प्राप्त है। 

सामुदायिक पुस्तकालयों में 26 हजार से ज्यादा पुस्तकें उपलब्ध

जिले में सीख कार्यक्रम कोरोना काल में ग्रामीण बच्चों के लिए वरदान साबित हुई। जब कोरोना महामारी की वजह से सभी स्कूल पूरी तरह बंद रहे, बच्चों की शिक्षा का कोई स्रोत नहीं था, तब सीख मित्रों ने बच्चों को शिक्षा दी। यह कार्यक्रम बच्चों के माता-पिता और अभिभावकों के लिए भी फायदेमंद साबित हुई। सीख कार्यक्रम के तहत चलाए गए पुस्तक दान अभियान से जिले के 222 गांवों में सामुदायिक पुस्तकालय निर्माण किया गया। किताब दान अभियान में जिले के दान दाताओं के साथ ही प्रदेश और अन्य राज्यों से भी सहयोग प्राप्त हुआ। अभियान में जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, उद्योगपति, व्यवसायी, अधिकारी-कर्मचारी, मीडिया प्रतिनिधि समेत कई नागरिकों की सहभागिता से 13 लाख 32 हजार रुपए का सहयोग प्राप्त हुआ। सामुदायिक पुस्तकालयों में 26 हजार 640 रोचक और ज्ञानवर्धक पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही है।

बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध

जिले में स्वास्थ्य के क्षेत्र मे काफी विकास हुआ है। जिले में 94 स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो रहे हैं। इनमें से 52 स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रूप में उन्नयन कर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराया जा रहा है। जिले में 87 हजार 204 व्यक्तियों का आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं। इनमे 2537 लोगों को आयुष्मान कार्ड से स्वास्थ्य सहायता राशि दी गई है। मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना के तहत 42 हाट बाजारों में 26 हजार 877 लोगों का इलाज किया गया। जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 1 लाख 8 हजार 147 राशनकार्डधारी लाभान्वित हो रहे हैं। इनमें 28 हजार 167 अंत्योदय, 73 हजार 657 प्राथमिकता वाले, 95 निशक्तजन, 319 निराश्रित और 5 हजार 909 सामान्य APL राशनकार्डधारी शामिल है। 

वैदिक रीति रिवाज से संपन्न

जिले में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत 28 हजार 114 हितग्राही लाभान्वित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री कन्या के विवाह योजना के तहत 73 जोड़ों का विवाह वैदिक रीति रिवाज से संपन्न कराया गया। जिले में जैविक खेती, वनोंषधि, खाद्य प्रसंस्करण और पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं हैं। गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला लगातार विकास पथ पर बढ़ रहा है और आने वाले समय में विकासशील जिला बनकर प्रदेश और देश को आकर्षित करेगा।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.