राज्य की आदिवासी संस्कृति को दिखाने के लिए आदिवासी समूह नृत्य और मांदर को भी गमछे में उकेरा गया है। बस्तर के प्रसिद्ध गौर मुकुट, राजकीय वन भैंसा और राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना को भी गमछे में अंकित किया गया है। इसके साथ ही सरगुजा की पारंपरिक भित्ति चित्र की छाप भी गमछे के बॉर्डर में अंकित है। बता दें कि टसर सिल्क गमछे में बुनकर द्वारा ताने में फिलेचर सिल्क यार्न और बाने में डाभा टसर यार्न, घिंचा यार्न का उपयोग किया गया है। गमचे की चौड़ाई 24 इंच और लंबाई 84 इंच है। इस टसर सिल्क गमछे की बुनाई सिवनी चांपा के बुनकरों द्वारा की गई है।
गमछे की बुनाई के बाद इसमें सरगुजा के महिला गोदना शिल्पियों के द्वारा गोदना प्रिंट को उकेरा है। इस गमछे की कीमत GST समेत 1534 रु निर्धारित की गई है। इसी तरह कॉटन गमछा को भी राज्य के बालोद, दुर्ग, राजनांदगांव जिले के बुनकरों ने हाथ करघों पर बुनाई के माध्यम से तैयार किया है। इस गमछे के ताने में 2/40 काउंट का कॉटन यार्न और बाने में 20 काउंट का कॉटन यार्न उपयोग किया गया है।
गमछे की बुनाई के बाद इसमें राज्य की परंपरा को प्रदर्शित करते हुए डिजाइनों को स्क्रीन प्रिंट से तैयार कराया गया है। स्क्रीन प्रिंट का कार्य छत्तीसगढ़ राज्य हथकरघा संघ से अनुबंधित हैदराबाद की प्रिंटिंग इकाई से कराया जा रहा है। इस गमछे की चौड़ाई 24 इंच और लंबाई 84 इंच है। इस गमछे की कीमत 239 रु निर्धारित की गई है। इन गमछों को राज्य के स्मृति चिन्ह के रूप में मान्यता दिए जाने से बुनाई के माध्यम से 300 बुनकरों और 100 महिला गोदना शिल्पियों को सालभर रोजगार मिलेगा।