कोरोना समय के साथ अपना रूप बदल रहा है। अब तक कोरोना के डेल्टा, डेल्टा + और अल्फा जैसे कई वैरिएंट सामने आ गए हैं। वहीं वर्तमान में ओमिक्रॉन वैरिएंट दुनियाभर में कहर बरपा रहा है। इसी बीच फ्रांस में एक और खतरनाक वैरिएंट सामने आया है। इस वैरिएंट का नाम IHU है। नए वैरिएंट से अभी तक 12 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 'IHU' के रूप में नामित बी.1.640.2 वेरिएंट को ‘IHU मेडिटेरेनी इंफेक्शन’ के शोधकर्ताओं ने कम से कम 12 मामलों में पाया है। इसे अफ्रीकी देश कैमरून की यात्रा से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि जहां तक संक्रमण और टीकों से सुरक्षा का संबंध है, तो इस बारे में अभी अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में 46 म्यूटेशन हुए हैं। जबकि ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में 37 म्यूटेशन ही हुए थे। एक स्टडी के मुताबिक इस वैरिएंट का पहला मरीज एक वैक्सीनेटिड एडल्ट था, जो कैमरून की ट्रिप से फ्रांस लौटा था। कैमरून से लौटने के 3 दिन बाद उसे सांस लेने में हल्की सी तकलीफ शुरू हुई। नवंबर में उसके सैंपल लिए गए, जिसमें कोरोना संक्रमण के बारे में पता चला। लेकिन संक्रमण जिस वैरिएंट से हुआ था, वह वैरिएंट पहले से मौजूद डेल्टा वैरिएंट के पैटर्न से मेल नहीं खा रहा था। बाद में मिले ओमिक्रॉन वैरिएंट से भी यह सैंपल मैच नहीं हुआ। इसके बाद इसे नया वैरिएंट घोषित किया गया।
IHU में 46 परिवर्तन
हेल्थ साइंस के बारे में अप्रकाशित पांडुलिपियों को प्रकाशित करने वाली इंटरनेट साइट मेडआर्काइव पर 29 दिसंबर को पोस्ट किए गए अध्ययन से पता चला है कि IHU में 46 परिवर्तन और 37 बरबादी हैं, जिसके परिणामस्वरूप 30 अमीनो एसिड रिप्लेसमेंट और 12 विलोपन होते हैं। अमीनो एसिड ऐसे अणु होते हैं, जो प्रोटीन बनाने के लिए गठबंधन करते हैं और दोनों जीवन के निर्माण खंड हैं। वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले अधिकांश टीके सार्स-कोव-2 के स्पाइक प्रोटीन पर लक्षित होते हैं। ये वायरस कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमण के लिए इन्हीं प्रोटीन को निशाना बनाते हैं। N501Y और E484के म्यूटेशन पहले बीटा, गामा, थीटा और ओमिक्रॉन स्वरूप में भी पाए गए थे।
जांच के तहत किसी प्रकार का लेबल नहीं
अध्ययन के लेखकों ने कहा है कि यहां मिले जीनोम के उत्परिवर्तन सेट और फाइलोजेनेटिक स्थिति हमारी पिछली परिभाषा के आधार पर आईएचयू नामक एक नए संस्करण की ओर इंगित करती है। बी.1.640.2 को अब तक अन्य देशों में पहचाना नहीं गया है या विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जांच के तहत किसी प्रकार का लेबल नहीं लगाया गया है। एपिडेमियोलॉजिस्ट एरिक फीगल-डिंग ने एक लंबा ट्विटर थ्रेड पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि नए स्वरूप सामने आते रहते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे अधिक खतरनाक होंगे। फीगल-डिंग ने मंगलवार को ट्वीट किया कि जो चीज किसी वैरिएंट को अधिक खतरनाक बनाती है, वो है मूल वायरस की तुलना में वह कितना गुना उत्परिवर्तन होती है।
23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ओमिक्रॉन का कहर
कई देश फिलहाल कोरोना ओमिक्रॉन स्वरूप के मामले में आए उछाल से त्रस्त हैं। इस स्वरूप की पहचान दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना में बीते साल नवंबर में की गई थी। उसके बाद से ओमिक्रॉन 100 देशों में फैल चुका है। भारत में अब तक 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ओमिक्रॉन स्वरूप के संक्रमण के 1800 से ज्यादा मामले सामने आए हैं।