छत्तीसगढ़ में अब किसान पारंपरिक खेती से हटकर नवाचार की दिशा में काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में अब किसान दलहन, तिलहन के साथ उद्यानिकी फसलों को भी अपने खेतों में जगह दे रहे हैं। इन सबके बीच कोरिया जिले में कृषि को लेकर कई दूसरे नवाचार भी हो रहे हैं और कृषि में नवाचार ने कोरिया जिले की अलग पहचान कायम कर दी है। दरअसल, कोरिया में लेमन ग्राम और खस की खेती से किसान आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं।
गौरतलब है कि कोरिया में जिला प्रशासन और कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों के साथ समन्वय कर सामूहिक बाड़ी की संकल्पना को साकार किया है। यहां राज्य शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के अंतर्गत नरवा, गरुवा, घुरुवा और बाड़ी को फोकस में रखकर काम किया गया। इस कड़ी में दुधनिया, उमझर और लाई गांव के कृषकों को संगठित कर पड़त भूमि का विकास किया गया, फिर जमीन पर सगंध फसलों की खेती शुरू की गई। इससे आदिवासी कृषकों को सामूहिक बाड़ियों के माध्यम से लाखों की आय संभव हुई है। इस साल सामूहिक बाड़ी में खस उत्पादन से किसानों को एक लाख रुपए से ज्यादा की आय हुई है। जबकि लाखों के लेमन ग्रास की स्लिप्स का विक्रय किया गया है।
दूसरे जिलों में की जा रही आपूर्ति
उमझर गांव की सामूहिक बाड़ी से कुल 48 हजार रूपए की कीमत के खस की स्लिप्स कृषि विज्ञान केंद्र अंबिकापुर, बलरामपुर, जशपुर और मैनपाट को विक्रय की गई है। इसके साथ ही वनमंडल अधिकारी मनेन्द्रगढ़ को भी 76 हजार रूपए की खस स्लिप्स प्रदाय की गई है। इस साल वनमंडल अधिकारी मनेंद्रगढ़ और बैकुंठपुर को 8 लाख लेमन ग्रास की आपूर्ति की गई है।
बनाए जा रहे कई प्रोडक्ट
कोरिया में कृषकों द्वारा उत्पादित लेमन ग्रास से सगंध तेल निकालने का भी काम किया जा रहा है। इसकी मार्केटिंग के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों को भी जोड़ा गया है, जिससे कृषकों को आकर्षक आमदनी प्राप्त हो रही है। साथ ही समूहों द्वारा साबुन, अगरबत्ती, मॉस्किटो रेपलेंट जैसे कई अन्य प्रोडक्ट का भी निर्माण कर बेचा जा रहा है, जो किसानों की आर्थिक समृद्धि में सहायक बन रहे हैं।