छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में ओमिक्रॉन संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। दरअसल, बस्तर से सटे तेलंगाना, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में ओमिक्रॉन के केस लगातार बढ़ रहे हैं। इन्हीं राज्यों से यात्री बसों से रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोगों की आवाजाही बस्तर में हो रही है। जानकारी के मुताबिक इन यात्रियों की न कोई डिटेल अफसरों के पास है और न ही चेक पोस्ट पर उनकी कोरोना जांच की कोई सुविधा। वहीं अफसर कहते हैं कि चेक पोस्ट पर जांच करना संभव नहीं है।
बस्तर जिले के CMHO डी राजन ने कहा कि अगर बॉर्डर में बसों को रोककर जांच की जाए तो बसों की लंबी कतार लग जाएगी। यात्रियों को घंटों कतार में खड़ा होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जब बस, बस स्टैंड पहुंचती है तो उस वक्त बस में सवार यात्रियों की जांच की जाती है। ये जांच भी सिर्फ दिन में ही होती है, रात में नहीं। CMHO ने कहा कि दिन में ही जांच करना मुश्किल होता है, रात का सवाल ही नहीं उठता। साथ ही उन्होंने कहा कि बॉर्डर में चेक पोस्ट बनाए गए हैं, वहां जवानों की ड्यूटी लगाई गई है।
अगर जवान अन्य छोटी वाहनों को रोककर जब लोगों को टीम के पास जांच के लिए भेजते हैं तभी लोगों की कोरोना की जांच हो पाती है। जवान लोगों को नहीं रोकते तो टीम का कोई सदस्य जांच नहीं कर पाता है। CMHO ने दावा किया है कि दूसरे राज्यों से बस से आने वाले लोगों के बारे में स्वास्थ्य विभाग के पास पूरी जानकारी है। दूसरे राज्यों से राज्य के अंदर एक जिले से दूसरे जिले तक चलने वाली बसों में यात्रा करने वाले यात्रियों की भी बड़ी लापरवाही होती है। लोग मास्क का उपयोग नहीं करते हैं। जानकारी के मुताबिक बस के कंडक्टर और ड्राइवर भी बिना मास्क के वाहन चलाते और संचालन करते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
बता दें कि बस्तर के अलग-अलग जिलों के सैकड़ों ग्रामीण रोजी-रोटी की तलाश में पलायन कर ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जाते हैं। ज्यादातर मजदूर सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और बस्तर जिले के ही होते हैं। इनकी आवाजाही लगातार होती रहती है। पड़ोसी राज्यों से चलने वाली बस जब बॉर्डर पार कर छत्तीसगढ़ में आती हैं तो इस बीच जो भी पहला जिला पड़ता है वहां के बस स्टैंड तक पहुंचने से पहले ग्रामीण गांव-गांव में उतर जाते हैं। ऐसे में अगर कोई भी ग्रामीण मजदूर संक्रमित होता है तो उसकी पहचान कर पाना प्रशासन के लिए मुश्किल हो जाएगा।
लापरवाही पड़ सकती है भारी
बस्तर संभाग से ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के लिए लगभग 12 से ज्यादा बसों का संचालन रोजाना होता है। 12 सालों में कई यात्रियों की आवाजाही हो रही है। कुछ बसे रात के समय भी चलती है। हालांकि रात के समय चलने वाली बसों का स्टॉपेज बहुत कम होता है। ये लापरवाही आगे चलकर बहुत भारी पड़ सकती है।