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गरियाबंद के इस गांव में हो रही थी नाबालिग लड़की की शादी, प्रशासन की सजगता से रुका बाल विवाह

बाल संरक्षण समिति से मिली सूचना के आधार पर सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल सिंह कंवर के सहयोग से गरियाबंद जिला बाल संरक्षण इकाई के प्रेमशंकर यादव, परामर्शदाता और चाइल्ड लाइन 1098 के बलीराम निषाद और देवभोग पुलिस ने बाल विवाह स्थल पर पहुंचकर जायजा लिया।  


बाल संरक्षण समिति के माध्यम से फोन पर सूचना मिली थी कि पुरनापनी गांव में एक बाल विवाह होने की तैयारी चल रही थी।  22 जनवरी 2022 को जिला बाल संरक्षण इकाई ने मौके पर पहुंचकर वधु की आयु संबंधी दस्तावेज की जांच की। स्कूल के दाखिला खारिज के आधार पर लड़की की उम्र 16 साल 03 महीने होना पाया गया। शादी के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के मुताबिक लड़की की आयु 18 साल और लड़के की आयु 21 साल पूरा होना चाहिए। 

टीम की समझाइश पर जताई सहमति

निर्धारित आयु से कम उम्र में शादी करने या करवाने की स्थिति में सम्मिलित और सहयोगी सभी लोग अपराध की श्रेणी में आते हैं, जिन्हें 02 साल तक का कठोर कारावास और 1 लाख रु का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। जिला बाल संरक्षण इकाई ने अग्रिम कार्रवाई करते हुए लड़की, उसके माता-पिता और परिवार वालों के साथ ग्रामीणों को समझाइश दी। टीम ने बताया कि लड़की की उम्र 18 साल पूरा होने के बाद ही शादी करें। सभी लोगों ने बाल विवाह रोकथाम टीम की समझाइश पर सहमति जताई। फलस्वरूप लड़की और उसके माता-पिता को बाल कल्याण समिति  में प्रस्तुत होने को कहा गया है।

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