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Earthquake: राजस्थान में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 4.3 मापी गई तीव्रता

राजस्थान के बीकानेर में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक प्रदेश के बीकानेर में आई भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल (Richter Scale) पर 4.3 मापी गई है। हालांकि भूकंप में किसी के भी हताहत होने या कोई नुकसान होने की खबर नहीं है। लेकिन झटकों के डर से लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। भूकंप का केंद्र पाकिस्तान में रहा। बता दें कि इससे पहले राजस्थान के जालोर में 20 नवंबर को रात में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 4.6 थी।

देवों की नगरी उत्तराखंड में भी लगे थे झटके

देवों की नगरी उत्तराखंड के उत्तरकाशी और टिहरी में एक हफ्ते पहले देर रात भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर इस्की तीव्रता 3.8 रही। ये भूकंप के झटके करीब दो बार महसूस किए गए। वहीं टिहरी में रात डेढ़ बजे भूकंप महसूस किए गए थे। इस दौरान डर के कारण लोग अपने घरों से बाहर आ गए। भूकंप विज्ञानियों का कहना है कि उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील राज्य है।

भूकंप आने का कारण 

पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। दूसरे शब्दों में कहें तो पृथ्वी कई लेयर में बंटी होती है और जमीन के नीचे कई तरह की प्लेट होती है। ये प्लेट्स आपस में फंसी रहती हैं, लेकिन कभी-कभी ये प्लेट्स खिसक जाती है, जिस वजह से भूकंप आता है। कई बार इससे ज्यादा कंपन हो जाता है और इसकी तीव्रता बढ़ जाती है। 

इन जगहों पर ज्यादा महसूस किए जाते हैं झटके

भारत में धरती के भीतर की परतों में होने वाली भोगौलिक हलचल के आधार पर कुछ जोन तय किए गए हैं और कुछ जगह यह ज्यादा होती है तो कुछ जगह कम। इन संभावनाओं के आधार पर भारत को 5 जोन बांटा गया है, जो बताता है कि भारत में कहां सबसे ज्यादा भूकंप आने का खतरा रहता है। इसमें जोन-5 में सबसे ज्यादा भूकंप आने की संभावना रहती है और 4 में उससे कम, 3 उससे कम होती है।

भूकंप की तीव्रता मापने का पैमाना

भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।

भूकंप से तबाही 

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है। अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है, लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता। समुद्र में भूकंप आने पर उंची और तेज लहरें उठती है जिसे सुनामी भी कहते हैं।

भूकंप आने पर क्या करें 

  • आपको भूकंप के झटके जैसे ही महसूस हों, वैसे ही आप किसी मजबूत टेबल के नीचे बैठ जाएं और कस कर पकड़ लें।
  •  जब तक झटके जारी रहें या आप सुनिश्चित न कर लें कि आप सुरक्षित ढंग से बाहर निकल सकते हैं, तब तक एक ही जगह बैठे रहें।
  •  अगर आप ऊंची इमारत में रहते हैं तो खिड़की से दूर रहें।
  •  आप बिस्‍तर पर हैं तो वहीं रहें और उसे कसकर पकड़ लें। अपने सिर पर तकिया रख लें।
  •  आप बाहर हैं तो किसी खाली स्‍थान पर चले जाएं यानी बिल्डिंग, मकान, पेड़, बिजली के खंभों से दूर।

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