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छत्तीसगढ़ के 4 किसानों को परंपरागत किस्मों के संरक्षण के लिए दिल्ली में मिला पुरस्कार

छत्तीसगढ़ के बीजापुर, जांजगीर-चांपा और बालोद के प्रगतिशील किसान लिंगुराम ठाकुर, दीनदयाल यादव, हेतराम देवांगन, संजय प्रकाश चौधरी को देशी  और परंपरागत किस्मों के संरक्षण और संवर्धन के लिए पादप जीनोम सेवियर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। साथ ही डेढ़ लाख रूपये की राशि और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया है। नई दिल्ली के पूसा परिसर में आयोजित सम्मान समारोह में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने छत्तीसगढ़ राज्य के 4 प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया। 

ये सम्मान भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण द्वारा हर साल देश के किसानों को देशी और परंपरागत किस्मों के संरक्षण, संवर्धन और उन किस्मों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदान किया जाता है। सम्मान समारोह में कृषि महाविद्यालय, रायपुर के आनुवांशिकी-पादप प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के नोडल अधिकारी दीपक शर्मा भी उपस्थित रहे। 

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति एस.एस. सेंगर ने पुरस्कृत किसानों को बधाई और शुभकामनाएं दी है। पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण द्वारा छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के प्रगतिशील किसान लिंगुराम ठाकुर को सम्मानित किया गया है। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र बीजापुर के मार्गदर्शन में काम करते हुए ठाकुर ने आदिवासी बहुल क्षेत्र में धान की विलुप्त प्राय प्रजातियों के संरक्षण और संवंर्धन में अहम भूमिका निभाई है। 

पादप जीनोम सेवियर पुरस्कार 2021 

पादप जीनोम सेवियर पुरस्कार 2021 के तहत छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्र, जांजगीर-चांपा के  मार्गदर्शन में कार्यरत किसान दीनदयाल यादव को छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों के संरक्षण और पारंपरिक किस्मों के संरक्षण-संवर्धन के लिए सम्मानित किया गया है। कृषि विज्ञान केंद्र जांजगीर-चांपा के कुशल मार्गदर्शन में ही कार्यरत किसान हेतराम देवांगन को सांइ करेला, सांइ लौकी की देशी किस्मों के संरक्षण-संवर्धन के लिए भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है। 

छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्र बालोद के मार्गदर्शन में कार्यरत किसान संजय प्रकाश चौधरी को अरकार दुबराज के संरक्षण और पारंपरिक ज्ञान से जैविक खेती में विभिन्न नवीन प्रयोगों द्वारा चयनित नवीन किस्मों के संरक्षण के लिए सम्मानित किया गया है। वहीं चौधरी पंचगव्य से धान की 11 पारंपरिक किस्मों की जैविक खेती करते हैं, जिससे इन किस्मों मे चावल अत्यधिक सुगंध और स्वाद में उत्तम पाया गया है। छत्तीसगढ़ के इन प्रगतिशील कृषकों के अथक परिश्रम और प्रयासों से देशी किस्मों के संरक्षण में योगदान के लिए छत्तीसगढ़ राज्य का नाम राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित हुआ है।

अब तक इतने किसानों को मिला सम्मान

बता दें कि अब तक छत्तीसगढ़ राज्य को 2 कृषक समुदाय पुरस्कार, 4 कृषक सम्मान पुरस्कार और 13 कृषक पुरस्कार छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों के किसान प्राप्त कर चुके हैं। पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम कृषकों की प्रजातियों को संरक्षित करने और जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए पादप जिनोम संरक्षण पुरस्कार प्रदान करता है। 

ये अधिनियम विश्व का एक मात्र ऐसा अधिनियम हैं, जो किसानों के हित में देशी किस्मों को बचाने और बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। कृषकों को किस्मों के संरक्षण और अंश लाभ प्रदान करने के लिए इस प्राधिकरण की स्थापना की गई है। छत्तीसगढ़ राज्य के कृषकों द्वारा अब तक 1527 देशी किस्मों का पंजीयन कराया जा चुका है, जो संख्या की दृष्टि से पूरे देश में सर्वप्रथम है, जिनमें से 368 पौध किस्मों का पंजीयन प्रमाण-पत्र प्राधिकरण द्वारा जारी कर दिया गया है, जिसमें धान की 364 किस्में, सरसों की 3 किस्में और टमाटर की एक किस्म को प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर इस प्राधिकरण में राज्य के किसानों के देशी किस्मों के पंजीयन के लिए 2014-15 से काम कर रहा है।

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