विशेष पिछड़ी जनजाति कमार से संबंधित शादी कार्यक्रम के दौरान खुशियों को गीतों और पारम्परिक नृत्य के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत करने दस साल का छयांक अपने पिता अमर सिंह और समूह के अन्य सदस्यों के साथ जुटा हुआ है। अभी तक कई कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति दे चुके छयांक के नृत्य का कमाल देखकर देखने वाले भी ताली बजाने मजबूर हो जाते हैं। रायपुर के साइंस कालेज मैदान में 28 से 30 अक्टूबर 2021 तक द्वितीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसकी तैयारी जोरों से चल रही है। कलाकार अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन करने समय का इंतजार कर रहे हैं।
धमतरी जिले के मोहेरा गांव से 10 साल का छयांक कक्षा चौथी में पढ़ाई करता है। उसकी रूचि बचपन से ही नृत्य में है। इसलिए आदिवासी नृत्य से जुड़े उसके पिता अमर सिह उन्हें भी कई कार्यक्रमों में साथ लेना नहीं भूलते। कमार जनजाति जो कि छत्तीसगढ़ में एक विशेष पिछड़ी जनजाति है। इनसे संबंधित जनजाति द्वारा विवाह के अवसर पर किए जाने वाले नृत्य और गाये जाने वाले गीत को पारंपरिक वाद्य यंत्रों के माध्यम से जय निरईमाता आदिवासी कमार नृत्य समूह द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। समूह में 23 पुरूष सदस्य है। जिसमें छयांक भी बाल कलाकार के रूप में विशेष परिधान धारण कर नृत्य करता है। छयांक के पिता अमर सिह ने बताया कि वह जब 8 से 9 साल का था तब से नृत्य करता आ रहा है। पहले गांव-गांव जाकर नृत्य करता था। इसके बाद अनेक कार्यक्रमों में प्रस्तुति देता आ रहा है।
सामूहिक रूप से नृत्य की प्रस्तुति
आज वह अपने समूह का मुखिया है और सभी कलाकार उनके निर्देशन में उनके साथ ही सामूहिक रूप से नृत्य की प्रस्तुति देते हैं। उन्होंने बताया कि छयांक का भी लगाव नृत्य में हैं। इसलिए नृत्य कौशल का सम्पूर्ण प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। छयांक ने बताया कि कमार जनजाति पर आधारित आदिवासी नृत्य उन्हें पसंद है। वह स्कूल भी जाता है। आदिवासी नृत्य महोत्सव है। इसलिए कुछ दिनों के लिए वह अभ्यास में जुटा है और आदिवासी संस्कृति को आगे बढ़ाना चाहता है। छयांक के पिता अमर सिंह का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आदिवासी समाज की संस्कृति, कला और परंपरा को उभारने के साथ छिपी हुई प्रतिभाओं को सामने लाने राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन करना एक बेहतर माध्यम साबित होगा।