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आप भी निशुल्क और सक्षम कानूनी सेवाएं कर सकते हैं प्राप्त, जानिए कैसे

दुर्ग जिला-सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सरिता दास ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बताया कि संविधान के अनुच्छेद 39 में प्रावधान है कि राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि न्यायतंत्र इस प्रकार से काम करें कि सभी को न्याय का समान अवसर मिले और आर्थिक या किसी अन्य कारण से कोई नागरिक न्याय प्राप्ति से वंचित न रह जाए। इसके लिए राज्य निशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करेगा। 


साल 1987 मे गरीबों को निशुल्क और सक्षम कानूनी सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम को लागू किया गया था। इस अधिनियम ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण और राज्य, जिला और तालुका स्तर पर अन्य कानूनी सेवा संस्थानों के गठन का मार्ग प्रशस्त किया। अधिनियम के तहत दी जाने वाली निशुल्क कानूनी सेवाएं अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति, बच्चों, महिलाओं, मानव तस्करी के शिकार लोगों, औद्योगिक कामगारों, हिरासत में लिए गए व्यक्तियों और गरीबों के लिए उपलब्ध है। 

अनुच्छेद 39 ए के तहत प्रावधान

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 ए में सभी के लिए न्याय सुनिश्चित किया गया है और गरीबों और समाज के कमजोर वर्गों के लिए निशुल्क कानून सहायता की व्यवस्था की गई है। जब भी किसी व्यक्ति के लिए किसी भी विधि न्यायालय-न्यायाधिकरण से संपर्क करना आवश्यक हो। अपने अधिकार का प्रवर्तन,  अपनी शिकायतों के निवारण के लिए, अपने मामले आदि का बचाव करने के लिए या जब भी किसी व्यक्ति को किसी कानूनी सलाह-परामर्श की आवश्यकता होती है। 

इन लोगों को मिलेगी सहायता

अगर ऐसा व्यक्ति आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण अधिवक्ता को नियुक्त करने में असमर्थ है या ऐसा व्यक्ति सामाजिक, शैक्षणिक या अन्य अक्षमताओं के कारण संबंधित कार्यालय से संपर्क करने में असमर्थ है तो विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा अनुरक्षित अधिवक्ताओं के पैनल से ऐसे व्यक्तियों को एक अधिवक्ता नियुक्त-प्रदान की जाती हे । ऐसे अधिवक्ताओं की फीस, टाइपिंग, कॉपी शुल्क और अन्य विविध शुल्क विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा वहन किया जाएगा।

निशुल्क कानूनी सहायता के लिए यहां दे सकते हैं आवेदन

मामले के क्षेत्रीय और विषय क्षेत्राधिकार के आधार पर एक व्यक्ति को निम्नलिखित उपयुक्त प्राधिकारी से संपर्क करना चाहिए। तालुक कानूनी सेवा समिति जो कि तालुक में न्यायालय के परिसर में है, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जो जिला मुख्यालय में जिला न्यायालय के परिसर में है, संबंधित राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (विशेष मामलों के लिए, जिनमें से पैनल राज्य स्तर पर बनाए रखे जाते हैं, उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति जो संबंधित उच्च न्यायालय के परिसर में है, सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति।

इस ऑनलाइन पोर्टल पर कर सकते हैं आवेदन

प्रत्येक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सामने एक कार्यालय है, जहां आवेदन को स्थानांतरित किया जा सकता है। यहां तक कि नालसा   (https://nalsa.gov.in)  के ऑनलाइन पोर्टल या राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरणों की वेबसाइट पर भी पहुंच और आवेदन कर सकते हैं।

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