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पैदा कराना चाहते थे वनभैंसा, पैदा हो गई देसी मुर्रा भैंस !

रायपुर । छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वनभैंसा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पैदा कराए गए क्लोन दीप आशा के मामले में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। वन विभाग के अधिकारियों की अदूरदर्शिता का प्रमाण प्रमुख सचिव वन को ई-मेल से प्रेषित किया गया है। मांग की गई है कि पैदा कराई गई क्लोन भैंस, उदंती अभ्यारण में रखी गई वनभैंसा आशा की क्लोन न होकर साधारण मुर्रा भैंस है। उसे भी प्राकृतिक जीवन जीने का अधिकार है इसलिए उसे प्राकृतिक जीवन जीने के लिए छोड़ देना चाहिए।

क्लोन दीपआशा, वनभैंसा आशा की क्लोन नहीं 

वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने बताया कि छत्तीसगढ़ के उदंती अभ्यारण के बाड़े में रखी गई आशा नामक वनभैंसा के कान से सेल कल्चर लेकर और दिल्ली के बूचड़खाने से देसी भैंस का अंडाशय लेकर अत्याधुनिक तकनीकी से 12 दिसंबर 2014 को दीपआशा नामक क्लोन वनभैंसा को नेशनल डेरी रिसर्च इंस्टिट्यूट करनाल में पैदा कराया गया। दीपआशा को 28 अगस्त 2018 को रायपुर लाया गया और तब से रायपुर स्थित जंगल सफारी में रखा गया है।


गौरतलब है कि क्लोन हरदम उसी के समान दिखता है जिसका सेल कल्चर लिया गया हो। क्लोन दीपआशा के प्रकरण में दीपआशा बिल्कुल वैसी ही दिखनी चाहिए जैसे कि उदंती की वनभैंसा आशा दिखती थी। परंतु दीपआशा मुर्रा भैंस समान दिखती है। वन भैंसों के सिंग बहुत लंबे होते हैं।

आज तक नहीं कराया गया डीएनए टेस्ट 

वनभैंसा आशा के सिंग भी लंबे थे परंतु दीपआशा के सिंग मुर्रा भैंस के समान है और वह मुर्रा भैंस के समान ही दिखती है। 2018 में निर्णय लिया गया कि दीपआशा का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा, लेकिन दीप आशा 7 साल की होने को है, उसके बाद भी डीएनए टेस्ट आज तक नहीं कराया गया। 

वन विभाग के  अधिकारियों की अदूरदर्शिता

वन विभाग के अधिकारियों को क्लोन पैदा करवाने के पहले यह विचार करना चाहिए था कि  क्लोन पैदा कराए जाने उपरांत उससे बच्चे कैसे और किससे पैदा कराए जाएंगे? ब्रीडिंग प्रोग्राम बनाया जाना चाहिए था। परंतु दीपआशा के पैदा होने के 4 साल बाद अधिकारियों को यह विचार आया कि दीपआशा से बच्चे कैसे पैदा कराए जाएं? इसलिए 2018 में मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) रायपुर की अध्यक्षता में मीटिंग की गई। मीटिंग में चर्चा हुई कि उदंती अभ्यारण में बाड़े में रखे हुए प्रिंस, मोहन, वीरा, सोनू नामक वनभैंसा से अगर प्रजनन कराया जाना है तो उनका डीएनए टेस्ट कराया जाना चाहिए। क्लोन दीपआशा का भी डीएनए टेस्ट कराया जाना चाहिए। चर्चा हुई कि दीपआशा का प्रजनन कराने के लिए मोहन वनभैंसा को उदंती अभ्यारण से जंगल सफारी रायपुर लाया जावे। साथ ही निर्णय लिया गया कि दीपआशा का ब्रीडिंग प्रोग्राम बनाया जाए, जो की आज तक नहीं बनाया गया।

वनभैंसा से प्राकृतिक प्रजनन हो सकता है खतरनाक 

इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट से राय लेने पर उन्होंने राय दी कि दीपआशा पालतू भैंसों के बीच बड़ी हुई है, इसलिए वनभैंसा से प्राकृतिक प्रजनन कराना लड़ाई के दृष्टिकोण से खतरनाक हो सकता है। अगर वनभैंसा से प्राकृतिक प्रजनन कराया जावे तो जंगली जानवरों से कई बीमारियां फैल सकती है, इसलिए वीर्य की भी जांच कराया जाना चाहिए।

प्रजनन पर केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की आपत्ति

2020 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने आपत्ति दर्ज की है कि दीपआशा को प्रजनन के लिए वन में नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि उसे वहां घायल चोटिल होने की संभावना है। उन्होंने सुझाव दिया कि आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन पर विचार किया जावे।

आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन संभव नहीं

इस तकनीकी के तहत नर भैंसा से वीर्य इकट्ठा किया जाता है परंतु इसके लिए नर भैंसा को प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक होता है। यह कार्य उदंती में रखे गए वनभैंसों से कराया जाना लगभग असंभव है। इसी प्रकार महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में स्वतंत्र विचरण कर रहे वनभैंसों का भी वीर्य नहीं लिया जा सकता। वनभैसे बहुत आक्रामक होते है।

इंटर ब्रीडिंग कराने चले थे वन अधिकारी 

मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी रायपुर की अध्यक्षता में 2018 में हुई मीटिंग में क्लोन दीपआशा की प्राकृतिक प्रजनन जिन वनभैंसा प्रिंस, मोहन, वीरा, सोमू से कराने की चर्चा की गई वह सभी वनभैंसा आशा की संतान है. क्लोन दीपआशा भी वनभैंसा  आशा के सेल कल्चर से पैदा की गई है। इस प्रकार के एक ही जीन पूल के सदस्यों के मध्य प्राकृतिक प्रजनन से इंटर ब्रीडिंग की समस्या पैदा होगी। इसी प्रकार अगर किसी भी प्रकार से इनमें से किसी का वीर्य भी लिया जाता है तब भी इंटर ब्रीडिंग होगी।

'3 साल से जंगल सफारी में कैद है दीप आशा' 

सिंघवी ने बताया कि इस प्रकार दीप आशा से प्रजनन कराने के सभी रास्ते बंद हो चुके हैं। अगर वन अधिकारी इस पर पहले विचार करते तो करोड़ों खर्च करा कर दीप आशा को पैदा ही नहीं कराते। 3 साल से उसे रायपुर की जंगल सफारी में कैद में रख रखा है, स्टाफ के अलावा कोई उसे देख नहीं सकता, कोई भी उसकी फोटो नहीं ले सकता. जबकि वनभैंसा  सामाजिक प्राणी होते हैं और ग्रुप में रहते हैं। सिंघवी ने प्रश्न किया कि वन विभाग के अधिकारी यह बताएं कि दीपआशा को पैदा  कराने के पूर्व सभी प्लान क्यों नहीं बनाए गए और कैद में रखकर उसे किस बात की सजा दे रहे हैं?

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