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2 साल में तेजी से बढ़ी आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं, इन राज्यों में सबसे ज्यादा असर

देश में बीते 2 साल में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में तेजी आई है। विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक इन घटनाओं में साल 2019 के मुकाबले 2020 में 25 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक बिहार, पंजाब, चंडीगढ़, सिक्किम, मणिपुर, उत्तराखंड जैसे राज्यों में साल 2019 के मुकाबले 2020 में बिजली गिरने की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है। केंद्र सरकार ने कहा कि देश में बीते दो दशकों में, खासकर पूर्वोत्तर, पूर्व और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ी हैं। 


केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं पर पूछे गए सवाल पर बताया कि मध्य भारत में इसमें मामूली बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि साल 2019 की तुलना में, 2020 में बिजली गिरने की घटनाओं में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। हालांकि 2021 में जून तक के आंकड़ों में यह 2020 की तुलना में 10 फीसदी कम है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं की निगरानी के लिए साल 2020 में 'दामिनी' लाइटनिंग ऐप डेवलप किया गया। उन्होंने कहा कि 'यह ऐप बिजली गिरने की सभी घटनाओं को मॉनिटर करता है। 

लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क स्थापित

अगर किसी व्यक्ति के नजदीक बिजली गिरने की घटना हो रही है तो उसे 20 किलोमीटर और 40 किलोमीटर के दायरे में GPS के जरिए यह ऐप सूचित करता है। ऐप में बिजली गिरने वाले संभावित क्षेत्रों में होने पर सावधानियों की भी जानकारी दी गई है।' जितेंद्र सिंह ने बताया कि बिजली गिरने की घटना का एकदम सटीक पता लगाने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रापिकल मीटियोरोलॉजी (IITM), पुणे ने देश भर में 83 जगहों पर लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क स्थापित किए हैं। IITM में स्थापित इस नेटवर्क का मुख्य प्रोसेसर नेटवर्क से सिग्नल प्राप्त करता है और 500 मीटर से कम सटीकता के साथ बिजली गिरने की जगह के बारे में बताता है। इस नेटवर्क के आउटपुट को पूर्वानुमान के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और राज्य सरकारों के साथ शेयर किया जाता है।

इन राज्यों में सबसे ज्यादा असर

विज्ञान और प्रोद्योगिकी राज्य मंत्री ने बताया कि बिजली गिरने की घटनाओं में बढ़ोतरी का संबंध भी धरती के बढ़ते तापमान से है। मौसम विभाग बिजली गिरने, तूफानों और इससे जुड़ी घटना के लिए 5 दिन पहले पूर्वानुमान और चेतावनी जारी करता है। आंकड़ों के मुताबिक, बिहार, पंजाब, चंडीगढ़, सिक्किम, मणिपुर, उत्तराखंड जैसे राज्यों में साल 2019 के मुकाबले 2020 में बिजली गिरने की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है। 

केंद्र सरकार ने जारी किए आंकड़े

केंद्र सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में देश भर में आसमान से जमीन पर बिजली गिरने की 47 लाख 69 हजार 160 घटनाएं दर्ज की गई। वहीं यह 2020 में बढ़कर 63 लाख 30 हजार 139 हो गई। इस साल जून तक 27 लाख 87 हजार 076 बिजली गिरने की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं। कुछ राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों में साल 2019 के मुकाबले 2020 में ऐसी घटनाओं में कमी भी देखी गई, जिनमें जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, गोवा, ओडिशा, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, मेघालय शामिल हैं।

आकाशीय बिजली गिरने पर इस तरह बचें

आकाशीय बिजली गिरने पर खुले आकाश में रहने को बाध्य हो तो नीचे के स्थलों को चुनें, एक साथ कई आदमी इकट्ठे न हो, दो आदमी की दूरी कम से कम 15 फीट हो, तैराकी कर रहे लोग, मछुवारे जितना जल्दी हो सके पानी से बाहर निकल जाए, गीले खेतों में हल चलाते, रोपनी या अन्य काम कर रहे किसानों और मजदूरों या तालाब में कार्य रहे व्यक्ति तुरंत सूखे और सुरक्षित स्थान पर चले जाएं।

इस तरह करें बचाव 

धातु से बने कृषियंत्र, डंडा से अपने को दूर कर लें। अगर आप खेत-खलिहान में काम कर रहे हो या किसी सुरक्षित स्थान की शरण न ले पाए तो - जहां है वहीं रहे, हो सके तो पैरों के नीचे सूखी चीजें जैसे लकड़ी, प्लास्टिक, बोरा या सूखे पत्ते रख लें, दोनों पैरों को आपस में सटा लें और दोनों हाथों को घुटनों पर रखकर अपने सिर को जमीन की तरफ जितना जल्दी हो सके झुका लें। साथ ही सिर को जमीन से न छुआएं, जमीन पर कभी भी न लेंटे।

खुद को धात्विक संपर्क से बचाए

अपने घरों और खेल-खलिहानों के आस-पास कम ऊंचाई वाले उन्नत किस्म के फलदार वृक्ष समूह लगाएं, ऊंचे पेड़ के तनों या टहनियों में तांबे का एक तार स्थापित कर जमीन में काफ गहराई तक दबा दें ताकि पेड़ सुरक्षित हो जाए, मजबूत छत वाला पक्का मकान सबसे सुरक्षित स्थल है। अगर संभव हो तो अपने घरों में तड़ित चालक लगवा लें। यथा संभव खुले क्षेत्र में स्वयं को धात्विक संपर्क से बचाए रखना चाहिए।

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