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नक्सलियों से लोहा लेते अपनी जान न्योछावर कर गया मनिहार का लाल घनश्याम

ललित मानिकपुरी 

महासमुंद। "शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।" देश के प्रति अपना फर्ज निभाते हुए वीर गति को प्राप्त होने वाले महासमुंद जिले के जांबाज जवानों में ग्राम बिरकोनी के वीर शहीद घनश्याम कन्नौजे का नाम बड़े फक्र के साथ लिया जाता है। 21 अगस्त को शहीद घनश्याम कन्नौजे की 10वीं पुण्यतिथि है। महासमुंद अंचल आज अपने उस बहादुर लाल को याद कर रहा है, जिन्होंने माओवादियों से लोहा लेते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी। गृह ग्राम बिरकोनी के हाईस्कूल में उनकी प्रतिमा स्थापित है। जहां श्रद्धा सुमन अर्पित करने बड़ी संख्या में लोग आते हैं। 

 शहीद घनश्याम कन्नौजे

ऐसे हुई थी घनश्याम की शहादत 

एएसएफ की दूसरी बटालियन सकरी बिलासपुर के आरक्षक क्रमांक-111 घनश्याम कन्नौजे छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित बीजापुर जिले के भद्राकाली में तैनात थे। 19 अगस्त 2011 को फोर्स की एक टुकड़ी कैंप के लिए रसद लाने के लिए निकली थी। इस टुकड़ी के जवान रास्ते पर नक्सलियों के एंबुश में फंस गए। धमाके के साथ नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। धमाके में ही कई जवान जख्मी हो गए थे, किंतु जवानों ने जोरदार जवाबी कार्रवाई की और नक्सलियों का डटकर सामना किया।  शरीर छलनी होने के बाद भी जवान नक्सलियों से लड़ते रहे। लड़ते-लड़ते 13 जवान शहीद हो गए, जिनमें घनश्याम कन्नौजे भी शामिल थे। 



ग्रामीणों में देशभक्ति का जज्बा 

20 अगस्त को उनका शव मिला और 21 अगस्त को उनके गृहग्राम बिरकोनी में शासकीय हाई स्कूल मैदान में, जहां उन्होंने शिक्षा पाई थी, वहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद को अंतिम विदाई देने पूरा गांव उमड़ पड़ा था। माटी का लाल माटी को अपना लहू देकर खुद माटी हो गया, ऐसी माटी जिससे उठने वाली देशभक्ति की महक गांव के युवाओं, बच्चों और ग्रामीणों के अंतस को महकाती है। 

23 साल की आयु में पाई वीर गति 

शहीद घनश्याम कन्नौजे का जन्म 6 अक्टूबर 1988 को जिला मुख्यालय महासमुन्द से करीब 15 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग-53 पर स्थित ग्राम बिरकोनी में हुआ था। उनके दादा पुरानिक कन्नौजे लघु कृषक थे। पिता गुलाब कन्नौजे कृषि कार्य के साथ गलियों में घूमकर मनिहारी सामान बेचते हैं। शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बिरकोनी और आदर्श स्कूल महासमुंद में पढ़ाई करने के साथ-साथ बालक घनश्याम खेती और पिता के कारोबार में भी अपने पिता का हाथ बटाते थे। वह स्वयं मनिहारी का ठेला लेकर गांव में घूमने में कभी नहीं सकुचाए। इसी बीच करीब 20 साल की उम्र में फोर्स जॉइन कर लिया और 23 साल की उम्र पूरी होने के पहले ही वीरगति को प्राप्त हुआ। 

हम भी नमन करें 

लोग आज उनकी वीरता को नमन करते हैं। अपना फर्ज निभाते हुए देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाला घनश्याम कन्नौजे महासमुंद अंचल का गौरव है। 10वीं पुण्यतिथि पर 21 अगस्त को ग्राम बिरकोनी में हाई स्कूल परिसर स्थित उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा के फूल अर्पित किए जा रहे हैं। आइए हम भी नमन करें, उस वीर सपूत का जिन्होंने मातृभूमि और देशवासियों की माओवादियों से सुरक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

'मीडिया24मीडिया' परिवार नमन करता है मनिहार के लाल की शहादत को, उनके समर्पण और त्याग को।

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