पंडरी हाट बाजार में 7 अगस्त राष्ट्रीय हथकरघा दिवसके अवसर पर आयोजित हथकरघा वस्त्रों और हस्तशिल्प कला की 9 दिवसीय प्रदर्शनी का 15 अगस्त को समापन हुआ। यह प्रदर्शनी राजधानी रायपुर के हृदय स्थल पंडरी हाट बाजार 9 दिनों तक मनमोहक छत्तीसगढ़ी पारंपरिक हथकरघा वस्त्र और हस्तशिल्प कला का संगम बना रहा और लोगों को छत्तीसगढ़ी पारंपरिक हथकरघा वस्त्र और ग्रामोद्योग के उत्पादों ने खुब लुभाया। बता दें कि ग्रामोद्योग मंत्री गुरू रूद्रकुमार ने बीते 7 अगस्त को इस 9 दिवसीय हथकरघा वस्त्रों और हस्तशिल्प कला प्रदर्शनी की शुरुआत की गई थी।
ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार ने शुभारंभ के दौरान ऐसे बेहतर आयोजन के लिए विभागीय अधिकारियों की सराहना की। उन्होंने कहा था कि ऐसे आयोजनों से ग्रामोद्योग से जुड़े लोगों को सीधा लाभ मिलता है और उनकी कला तथा उनके द्वारा तैयार किए गए उत्पाद को बेहतर बाजार उपलब्ध होता है। जिससे कारीगरों और शिल्पियों को अपनी अभिव्यक्ति को कला के माध्यम से व्यक्त करने में सहायता मिलती है, उनका हौसला बढ़ता है और वे दुगने उत्साह से अपने आप को कार्य के प्रति समर्पित कर देते हैं।
परिधान और वस्त्र की जमकर खरीदी
गौरतलब है कि प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ राज्य के पारंपरिक हथकरघा वस्त्र और विविध शिल्प प्रदर्शन-सह-विक्रय के लिए छूट के साथ-साथ रियायती दर पर उपलब्ध थे। हथकरघा वस्त्रों और हस्तशिल्प कला प्रदर्शनी में सजावटी समान के साथ रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं-वस्त्रों को बेहतर प्रतिसाद मिला। लोग विशेषकर महिलाएं रोजाना बड़ी संख्या में यहां आकर अपनी पसंद के पारंपरिक परिधान और वस्त्र की जमकर खरीदी की।
प्रदर्शनी बनी लोगों के लिए सौगात
प्रदर्शनी में बुनकरों और शिल्पकारों द्वारा तैयार किए गए राज्यों के पारम्परिक वस्त्रों सहित छत्तीसगढ़ राज्य की ढोकरा हस्तशिल्प, लौह शिल्प, काष्ठ शिल्प, बांस शिल्प, गोदना शिल्प, शीसल शिल्प, टेराकोटा शिल्प, भित्ती चित्र, पत्थर शिल्प, कौंड़ी शिल्प, तूम्बा शिल्प और हथकरघा वस्त्रों में कोसा सिल्क, टसर सिल्क, कॉटन के ड्रेस मटेरियल, साड़ियां, टुपट्टे, चादर, बेडशीट और खादी वस्त्रों और ग्रामोद्योग द्वारा निर्मित सामग्रियां लोगों को आकर्षित कर रखा था। राजधानीवासियों के लिए त्योहारों के मौसम में आयोजित यह प्रदर्शनी लोगों के लिए सौगात बनी।
हथकरघा और हस्तशिल्प बोर्ड ने किया था आयोजन
प्रदर्शनी के नोडल अधिकारी एच.बी. अंसारी ने बताया कि प्रदर्शनी में हथकरघा और हस्तशिल्प बोर्ड द्वारा यह आयोजन किया गया था। इस प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ के 22 बुनकर समिति और 26 हस्तशिल्प, 2 माटीकला सहित 5 खादी बोर्ड के स्टॉल लगाए गए थे। यहां लगाए गए 55 स्टॉल में कुल 25.41 लाख रूपए की सामग्रियों की बिक्री हुई। जिसमें हथकरघा बुनकरों के 20 लाख 47 हजार, हस्तशिल्पियों के 4 लाख 95 हजार रूपए के उत्पादों की बिक्री हुई। इसी तरह खादी बोर्ड के 61 हजार और माटीकला बोर्ड के 11 हजार रूपए के उत्पादों की विक्रय की गई।