कोरोना से बचाव के लिए फिलहाल वैक्सीन ही संजीवनी है। इसीलिए सरकार ने भी सभी लोगों के लिए वैक्सीन को फ्री कर दिया है। 18 और 45 साल से ज्यादा वाले सभी लोगों को सरकार की ओर से मुफ्त टीका लगाया जा रहा है। इसी बीच 12 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए भी वैक्सीन आ गई है। जाइडस केडिला के कोविड टीके जाइकोव-डी को आपातकालीन उपयोग के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक से मंजूरी मिल गई है। इससे पहले भारत के केंद्रीय औषधि प्राधिकरण के एक विशेषज्ञ पैनल ने जाइडस केडिला की तीन खुराकों वाले कोविड-19 टीका ‘जाइकोव-डी’ के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दिये जाने की सिफारिश की थी। इसकी अंतिम मंजूरी के लिये यह सिफारिश भारत के औषधि महानियंत्रक को भेजी गई थी, जहां से इसे हरी झंडी मिल गई है।
यह वैक्सीन व्यस्कों के अलावा 12 साल से ज्यादा के उम्र के बच्चों को लगाई जाएगी। बच्चों को इसकी तीन खुराक लेनी होंगी। बता दें कि यह नीडललेस है, मतलब इसे सुई से नहीं लगाया जाता, जिसकी वजह से साइड इफेक्ट के खतरे भी कम रहते हैं। करीब 28,0000 वॉलेन्टियर्स पर जायडस कैडिला की प्रभाव क्षमता 66।6 प्रतिशत रही। जानकारी के मुताबिक यह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने वाली पहली प्लाज्मा डीएनए वैक्सीन है। इसमें वायरस के जेनेटिक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है। यह डीएनए या आरएनए को सूचना देते हैं ताकि प्रोटीन बने और इम्युन सिस्टम बढ़े। जायडस कैडिला वैक्सीन को बॉायोटेक्नोलॉजी विभाग के साथ मिलकर बनाया गया है। इस वैक्सीन को बनाने वालों ने जुलाई के महीने में कहा था कि यह वैक्सीन कोविड-19 से लड़ने में काफी सक्षम है। खासकर कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से लड़ने में सक्षम है।
आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी
अहमदाबाद स्थित फर्मा कंपनी ने एक जुलाई को टीके के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी देने के लिए DCGI को आवेदन दिया था। कंपनी ने बताया कि इसने अब तक 50 से अधिक केंद्रों पर सबसे बड़ा क्लिनिकल ट्रायल किया है। मंजूरी मिलने के बाद जाइकोव-डी कोरोनाविरोधी दुनिया का पहला डीएनए टीका है, जिसे भारतीय कंपनी ने विकसित किया है और देश में इस्तेमाल के लिये यह छठा टीका है। इससे पहले सीरम इस्टीच्यूट के कोविशील्ड, भारत बायोटेक के कोवैक्सिन, रूस के स्पूतनिक वी और अमेरिका के मोडर्ना, जानसान एंड जानसन का टीका इस्तेमाल हो रहा है। प्लाज्मिड डीएनए-आधारित जाइकोव-डी, सुई-मुक्त इंजेक्टर का उपयोग करके यह टीका दिया जाता है।
इन तरह काम करेगा टीका
यह प्लाज्मिड डीएनए वैक्सीन है। प्लाज्मिड इंसानों में पाए जाने वाले डीएनए का एक छोटा सर्कुलर हिस्सा होता है। ये वैक्सीन इंसानों की बॉडी में सेल्स की मदद से कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन तैयार करता है। इससे बॉडी को कोरोना वायरस के अहम हिस्से की पहचान करने में मदद मिलती है। इस प्रकार बॉडी में इस वायरस का डिफेंस तैयार किया जाता है। यह वैक्सीन इंसानों की स्किन में दी जाती है। इसे लगवाते समय चुभन जैसा महसूस होती है। इस वैक्सीन को लगाने के लिए स्प्रिंग की मदद से तैयार की गई एक डिवाइस का इस्तेमाल किया जाएगा और वैक्सीन को सीधे त्वचा में लगाया जाएगा।
इतने दिनों के गैप में लगेगी वैक्सीन
जाइकोव-डी वैक्सीन की टेस्टिंग तीन डोज के हिसाब से की गई है। पहली डोज के 21 दिन बाद दूसरी डोज और तीसरी डोज 56 दिन बाद दी जाएगी, लेकिन कंपनी ने यह भी कहा कि उसने दो डोज में भी इस वैक्सीन की टेस्टिंग की है और एक जैसे ही नतीजे मिले हैं। ऐसे में इस बात के भी संकेत हैं कि इस वैक्सीन के भी दो ही डोज लगाए जाएंगी।
इतना असरदार है जाइकोव-डी वैक्सीन
28,000 से ज्यादा वालंटियर पर किए गए तीसरे चरण के ट्रायल अंतरिम नतीजों में यह वैक्सीन RT-PCR पॉजिटिव केसों में 66-6% तक असरदार दिखी है। यह भारत में कोरोना वैक्सीन का अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल था। अहमदाबाद की कंपनी जायडस कैडिला ने दुनिया की पहली DNA बेस्ड कोविड वैक्सीन बनाई है। ट्रायल में ये 66% तक असरदार साबित हुई है। कोविशील्ड, कोवैक्सिन, स्पुतनिक V, मॉडर्ना और जॉनसन के बाद जायडस कैडिला 6वीं वैक्सीन है, जिसे मंजूरी मिली है। हालांकि, भारत में अभी सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और रूस की स्पुतनिक V वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है।