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दंतेवाड़ा के इन गांवों में एक साल से कोई भी नहीं हुआ कोरोना से संक्रमित

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देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर अब भी जारी है।अब तक कई लोग इस महामारी की चपेट में आकर मौत के मुंह में समा चुके हैं। वहीं दंतेवाड़ा जिले में 16 ऐसे भी गांव है, जहां बीते एक साल में कोरोना वायरस संक्रमित कोई मरीज नहीं मिला। ये गांव है कुच्चेपाल,वासनपुर, जारम, फूंडरी, फसरमदुर, कीडरीरास, प्रतापगिरी, नडेनार, छोटे गादम, बड़े गादम, मुनगा, कोडरीपाल, जियाकोरता, कुटरेम, मुलेर और तनेली।





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इन गांवों के प्रशासन ने अपने गांव की सभी सीमाओं पर पहरा दिया जिससे कोई बाहरी व्यक्ति यहां प्रवेश नहीं कर सके इसी का सख्त नतीजा है कि गांव में कोरोना संक्रमण का कोई मामला 1 जून 2020 से अब तक सामने नहीं आया। गांव के लोग सिर्फ बहुत जरूरी काम होने पर ही गांव से बाहर जाते थे। बिना किसी काम गांव के बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। गांव के लोगों ने दिन-रात गांव की सीमाओं पर पहरा दिया जिससे कोई बाहरी व्यक्ति अंदर ना आ सके।





कलेक्टर दीपक सोनी ने दी जानकारी





दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया, कि वो जिले को कोविड मुक्त बनाने के लिए निरन्तर प्रयासरत हैं। यहां स्थित गांव को कोविड मुक्त बनाने प्रशासन ने प्रत्येक ग्राम पंचायत में कोरोना जागरुकता दल का गठन किया गया है। जिसमें शिक्षक, मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका और स्वास्थ्य कर्मी शामिल हैं, जो सरपंच, सचिव और जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में कार्य करते हैं।आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर निगरानी, होम आइसोलेशन में रहने वालों की निगरानी, आदिवासी गोंडी और हल्बी भाषाओं में जागरूकता कार्यक्रम और संगरोध केंद्रों की स्थापना जैसे कुछ उपाय किए गए।





आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने निभाया अहम भूमिका





दंतेवाड़ा जिले की 36 साल की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनीता ऐसी ही एक कोरोना जागरुकता दल का हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा समस्या अप्रैल में थी। इसके बाद घर-घर जाकर निगरानी शुरू की गई। हम सुबह निकलते थे और हर दिन शाम को ही लौटते थे। कोविड जैसे लक्षण दिखने वाले किसी भी व्यक्ति को जिसे खांसी, सर्दी, बुखार या अन्य लक्षण हो उनका तुरंत परीक्षण कर आइसोलेशन लिए। जरूरत पड़ने पर कोविड केयर या अस्पताल में भेजा गया साथ ही तत्काल प्रोफिलेक्टिक किट प्रदान किए गए।





कोरोना जागरूकता टीमों के साथ समीक्षा बैठक





दंतेवाड़ा के जिला मजिस्ट्रेट दीपक सोनी ने बताया कि गांवों को कोविड मुक्त बनाने और उनकी प्रगति की निगरानी के लिए प्रशासन हर पखवाड़े पंचायत, सरपंच (ग्राम प्रधान) और कोरोना जागरूकता टीमों के साथ समीक्षा बैठक कर रहा है। कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि एक मरीज के कोविड परीक्षण रिपोर्ट के आने में एक या दो दिन का समय लग सकता है। इस दौरान यह समय महत्वपूर्ण हो सकता है, इसलिए हमने बिना किसी देरी के लक्षणों वाले लोगों को दवा किट प्रदान की। हमने ग्राम स्तर पर स्थानीय आदिवासी नेताओं को चुना है जो गोंडी में संवाद कर सकते हैं। गोंडी और हल्बी भाषाओं में ऑडियो और वीडियो संदेश आदिवासी समुदायों को कोरोना से संबंधित कार्यक्रमों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं।





हल्बी भाषाओं में संवाद





दंतेवाड़ा जिले में कई आदिवासी समूहों का निवास है, और इन समुदायों के लिए कोविड सावधानियों और टीकाकरण का संदेश लेने का अर्थ है अपनी स्थानीय भाषाओं में संवाद करना। यही कारण है कि जिला प्रशासन ने गोंडी और हल्बी भाषाओं में जागरूकता बढ़ाने में मदद करने वाले आदिवासी नेताओं को शामिल करने का फैसला किया। कलेक्टर सोनी ने बताया, हमने स्थानीय नेताओं को चुना जो संदेश को दूर-दूर तक ले जाने के लिए ग्राम स्तर पर गोंडी और हल्बी भाषाओं में संवाद कर सकते थे। हमने विभिन्न आदिवासी समुदायों के नेताओं से भी अनुरोध किया कि वे अपने सदस्यों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करें। हमने पहले नेताओं का टीकाकरण कराया ताकि वे दूसरों के लिए रोल मॉडल बन सकें। साथ ही गांव के गायता, गुनिया, पुजारी का भी टीकाकरण कराया गया, जिससे ग्रामीण भी जागरूक हुए।





20 बसें उपलब्ध कराई गई





दंतेवाड़ा जिला प्रशासन के अनुसार, जिले में अब तक 95,000 से अधिक वैक्सीन खुराकें दी जा चुकी हैं और जिले के लगभग 80 प्रतिशत गांवों ने 25 दिनों में अपना 45 से अधिक श्रेणी का लक्ष्य हासिल कर लिया है। साथ ही रेंगानार ग्राम पंचायत में शत प्रतिशत टीकाकरण भी किया जा चुका है। हमारे गाँव में टीकाकरण अच्छी गति से हो रहा है। हम सभी ने इसके लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की है। इस बीच, दूरदराज के गांवों में रहने वाले आदिवासी समुदायों का टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए कम से कम 20 बसें उपलब्ध कराई गई हैं।





आईसीयू को भी अपग्रेड किया गया





अधिकारियों ने बताया कि, ये बसें ग्रामीणों को टीकाकरण केंद्रों तक पहुंचाती हैं, जहां पका हुआ भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा, प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था की थी कि टीका केंद्रों पर आने वाले ग्रामीणों को भी सरकार से संबंधित अपने अन्य काम पूरे हो जाएं। इनमें आयुष्मान कार्ड, श्रमिक पंजीकरण, पेंशन योजना और किसान क्रेडिट कार्ड से संबंधित कार्य शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, कोविड केयर सेंटर और कोविड अस्पताल के बिस्तर और आईसीयू को भी अपग्रेड किया गया है।


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