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देश में ब्लैक, व्हाइट और यलो के बाद ग्रीन फंगस की एंट्री, इस राज्य में मिला पहला केस

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देश में कोरोना के बाद अब फंगल इंफेक्शन का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। देश के अलग-अलग राज्यों से रोजाना फंगल इंफेक्शन के मरीजों की पहचान हो रही है। वहीं ब्लैक, व्हाइट यलो और क्रीम फंगस के बाद ग्रीन फंगस ने भी देश में एंट्री ले ली है। देश के मध्यप्रदेश राज्य में ग्रीन फंगस का पहला मामला सामने आया है।





देश में ब्लैक फंगस के 28 हजार 252 मरीजों की पुष्टि, छत्तीसगढ़ में अब तक 259 मामले आए सामने





मध्य प्रदेश के सबसे तेजी से बढ़ते शहर इंदौर में पोस्ट कोविड बीमारियों के काफी मामले सामने आ रहे हैं। इंदौर के सरकारी और निजी अस्पतालों में इन दिनों ब्लैक फंगस के शिकार करीब 500 से ज्यादा केस आए है। वहीं हैरत की बात ये है कि इंदौर में अब ग्रीन फंगस का मरीज सामने आया है और ये देश का पहला मामला है।





इंदौर में मिला पहला केस





दरअसल, इंदौर में कोरोना की दूसरी लहर ने जमकर कहर मचाया था, जो अब बहुत हद तक शांत भी हो चुकी है। लेकिन अब इंदौर में बीमारियों के जंजाल में एक नए फंगल इंफेक्शन का मामला सामने आया है, जो देश का पहला मामला है। पोस्ट कोविड बीमारियों के लिहाज से अब तक ब्लैक, व्हाइट और यलो फंगस के मामले सामने आए थे। लेकिन इंदौर में अब देश का पहला ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें मरीज 90 दिन के इलाज के बाद ग्रीन फंगस का शिकार हुआ है।





मरीज के लंग्स में मिला ग्रीन फंगस





स्वास्थ्य विभाग की अधिकारी डॉ. अपूर्वा तिवारी ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को इंदौर के अरविंदो हॉस्पिटल से एक रिपोर्ट मिली है, जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टर रवि डोशी ने बताया कि 34 साल के विशाल श्रीधर नामक युवक बीते डेढ़ महीने से अरविंदो हॉस्पिटल में अपना इलाज करा रहे थे, लेकिन उनके लंग्स का 90% इन्वॉल्वमेंट खत्म नही हो रहा था। जबकि उनका हर मुमकिन इलाज किया गया था। इसके बाद अरविंदो हॉस्पिटल में मरीज के लंग्स की जांच कराई गई, जिसमें पता चला कि मरीज के लंग्स में ग्रीन कलर का एक फंगस मिला है। जिसे म्युकर नहीं कहा जा सकता है। इसलिए उसे म्यूकर मायकोसिस नहीं कहा जा सकता है।





डॉ. अपूर्वा ने दी जानकारी





डॉ. ने बताया कि उसके हरे रंग के कारण उसे ग्रीन फंगस नाम दिया गया है। डॉ. अपूर्वा ने बताया कि ये देश में पहला केस हैं, जिसमें ग्रीन कलर का फंगस किसी इंसान के लंग्स में मिला है। वहीं उन्होंने बताया कि निजी चार्टर्ड प्लेन से विशाल श्रीधर नामक मरीज को मुंबई के हिंदुजा हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया है। वहीं डॉ. रवि डोशी लगातार मुंबई के डॉक्टर्स के संपर्क रहकर मरीज की कंडीशन पर नजर बनाए हुए हैं।





यंग मरीज के अंदर मिला फंगस





दूसरी तरफ मरीज का इलाज कर रहे अरविन्दो हॉस्पिटल के डॉ. रवि डोशी ने बताया कि यह ग्रीन फंगस यंग मरीज के अंदर मिला है। यह उस व्यक्ति के सायनस में लंग्स में और ब्लड में मिला है। यह व्यक्ति पहले से कोविड मरीज थे, जिससे उनके फेफड़े काफी डेमेज थे। बीते दो महीने से कोविड का इलाज चल रहा था। डिस्चार्ज होने के बाद में यह फिर बीमारी सामने आई जांच की गई, उसके बाद एसपरजीलस की बात सामने आई।





डॉ. रवि डोशी ने दी जानकारी





डॉ. रवि डोशी, अरविन्दो हॉस्पिटल टीवी चेस्ट विभाग प्रोफेसर ने बताया कि एसपरजिल्स के लक्षण की बात करें तो नाक में से खून आना, नाक बंद होने से सर्दी हो जाना, सरदर्द करना और बुखार आना ऐसे कई प्रकार के लक्षण है। उन्होंने कहा कि हमने अभी कई समय से कोविड-19 के इलाज के दौरान यह ऐसा पहला मामला है, जहां जो कि ऐसे लक्षण सामने आए हैं।





इंदौर में ब्लैक फंगस से 44 मरीजों की मौत





यह उतना ही घातक है जितना कोविड या म्यूकोमाइक्रोसिस है। गौरतलब है कि इसस पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि फंगस को किसी भी रंग के नाम से नहीं पहचाना जाना चाहिए। बता दें कि इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल में ही ब्लैक फंगस के 308 मरीज भर्ती हैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों में भी 200 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है। शहर में अब तक 44 मरीजों की मौत इसके चलते हो चुकी हैं।


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