रायपुर। प्रेस क्लब महासमुन्द के अध्यक्ष आनंदराम साहू ने राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उईके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ में भी पत्रकारों को फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स घोषित (journalists front line Corona warriors) करने की मांग की है। पत्र में उन्होंने कहा कि कोविड-19 संक्रमण (वैश्विक महामारी) से उत्पन्न विषम परिस्थितियों में भी पत्रकार कदम से कदम मिलाकर काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में मीडियाकर्मी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। जान जोखिम में डालकर जमीनी स्तर पर सक्रियता के साथ दायित्व निभा रहे हैं।
ड्यूटी नहीं मानवता की सेवा भावना से काम कर रहे मुक्तिधाम के फ्रंटलाइन वर्कर
पड़ोसी राज्यों ओड़िशा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और बिहार सहित देश के अनेक प्रांतों में पत्रकारों को फ्रंट लाइन वारियर्स घोषित किया जा चुका है। और उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। पीड़ित परिवारों को समुचित राहत भी दी जा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार भी मीडिया के प्रति बहुत ही संवेदनशील हैं। और मीडियाकर्मियों के लिए हमेशा उदारतापूर्वक पॉलिसी बनाते रहे हैं। वर्तमान विषमताओं में भी छत्तीसगढ़ के मीडियाकर्मियों को सहयोग की अपेक्षा है।
कोरोना महामारी से निपटने के लिए अस्पतालों में जैसे स्वास्थकर्मी दिन-रात जुटे हैं। पुलिस प्रसाशन के जवान कानून व्यवस्था बनाने मैदान में रात-दिन चौकसी कर रहे हैं। मीडियाकर्मी निरंतर कोरोना फाइटर के रूप में बिना किसी सुविधा के काम कर रहे हैं। लेकिन, शासन की ओर से नीति निर्धारण नहीं होने से इन्हें चिन्हित नहीं किया गया है। आखिर जान जोखिम में डालकर काम करने वाले मैदानी पत्रकार उपेक्षित क्यों हैं? कोरोना से जंग में मीडिया की अहम भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। हर परिस्थितियों में अपना किरदार निभा रहे मीडियाकर्मियों को भी कोरोना वारियर घोषित किए जाने से उनके हितों की रक्षा हो सकेगी।
"कर्मयोगी पत्रकार" कोरोना योद्धा हैं। इन्हें न तो पीपीई किट, कोरोना रक्षक किट अथवा कोरोना बीमा उपलब्ध कराया गया है। और न ही वैक्सीन लगाने में प्राथमिकता दी जा रही है। न ही किसी तरह की सुविधाएं मिल रही है। प्रदेश में कर्मयोगी पत्रकारों की संख्या सीमित हैं। इनको समुचित संरक्षण दिए जाने की आवश्यकता है।