Gupt Navratri 2021: पंचांग के अनुसार 12 फरवरी शुक्रवार से माघ मास का शुक्ल पक्ष प्रारंभ हो रहा है. इसी शुक्ल पक्ष से माघ मास की गुप्त नवरात्रि 2021 भी प्रारंभ हो रही है. मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए गुप्त नवरात्रि 2021 का पर्व महत्वपूर्ण माना गया है.
पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य सावधानी-
- दीपक की वर्तिका उत्तर मुखी हो. बर्तिका मौली या कलावे की हो. श्वेत रंग की वर्तिका वर्जित होती है देवी पूजा में.
- नारियल कलश में फ़साये नहीं, कलश पर नारियल का मोटा भाग अपनी और रखे एवं पूंछ वाला भाग देवी जी की और रहे.
- भद्रा एवं राहूकाल में दुर्गा पूजा : आपत्ति-विपत्ति दूर करे.
- राहुकाल एवं गुलिक काल लेख के अंत में देखिये.
- भद्रा में दुर्गा जी के पूजा का विशेष महत्व है. स्मृति समुच्य ग्रंथ में लेख है 'भौमेति प्रशस्ता' अर्थात मंगलवार को सप्तमी होना अति उत्तम है। देवी पूजा भद्रा के समय 19 फरवरी,22,23 को अवश्य करें.
- देवी की पूजा भद्रा में होना श्रेष्ठ परिणाम प्रद माना गया है. देवी पुराण में उल्लेख है- देवी कहती हैं' "मैं भद्रा रूप हूं ,भद्रा मेरा स्वरूप है, हम दोनों में कुछ अंतर नहीं है ,भद्रा काल मे पूजा करने पर, मैं सब सिद्धि को देने वाली होंउगी.
"अहम भद्रा ,च भद्राहं नावयोरतरं क्वचित।
सर्व सिद्धिं प्रदास्यामी भद्रायां अर्चिता ।
निर्णय अमृत ग्रंथ - भद्रा को छोड़कर जो महाष्टमी को मेरी पूजा करता है ।उसने मेरा अपमान किया है ।उसको पूजा का फल नहीं मिलेगा।
("विष्टीं त्यक्त्वा महाअष्टंयाम मम पूजां करोति य:।
तस्य पूजा फल्ंन स्यात्तेनाहं अवामनीता।")
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राहुकाल में पूजा करे आसुरी शक्ति /शत्रु दमन करे -
शुभ कार्यों (Gupt Navratri 2021) के मुहूर्त में अनेक दोष होते है |सर्वाधिक प्रचलित राहुकाल है जबकि शनि का गुलिक काल एवं अन्य अनेक ग्रह जन्य दोष जैसे काल,यमघण्ट,कुलिक ,कालबेला ,आदि भी दोष है |
राहु काल में देवी पूजा श्रेष्ठ फलदायिनी होती है |दुर्गा देवी का एक स्वरूप छिन्नमस्ता या प्रचंड चंडिका देवी भी है |राहुकाल की अधिष्ठात्री छिन्नमस्ता या प्रचंड चंडिका देवी है |
"ॐ एम् ह्रीं क्लीम चामुण्डायै विच्चै |"
मन्त्र द्वारा भी राहुकाल में पूजा की जासकती है |
(श्री दुर्गा सप्तशती सर्वस्वं )
दुर्गा जी का सिध्द कुंजिका स्त्रोत – मन चाही सफलता |
(असाध्य भी साध्य या संभव होता है |)
कुंजिका के लिए किसी अन्य मंत्र की अवश्यकता नहीं है | चंडी पाठ
की पूर्णता भी कुंजिका के बिना संभव नहीं |
दुर्गा सप्तशती या चंडी पाठ ऋषियों द्वारा कीलित ,शापित है |
सफलता के लिए न्यास,अर्गला,कवच आदि के साथ शाप उद्धार मंत्र
पढ्ना आवश्यक है |
अपनी आवश्यकता के अनुरूप संकल्प ले जैसे -विवाह,रोजगार , व्यवसाय इंटरव्यू मे सफलता , शान्ति , सुरक्षा , भूत बाधा नष्ट ,टोना-टोटका नष्ट,दांपत्य सुख, मारण-मोहन -वशीकरण-स्तम्भन -उच्चाटन के लिये भी संकल्प ले सकते हैं |
जप विशेष शीघ्र फल के लिए सप्तमी ,अष्टमी तिथि को आवश्यक |
कुंजिका मंत्र का 11,27.54,108 बार जप कर ,जप संख्या का दसवा भाग हवन ashtmi या नवमी को करे |
(विशेष ध्यातव्य- स्वाहा उच्चारण के पहले या पश्चात समिधा हवन कुंड मे नहीं डाले | स्वाहा को लंबा खींचे इस उच्चारण के साथ ही आहुति देना शास्त्रीय विधि है |)
हवन करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है |फिर जब भी कोई अवश्यकता हो इस मंत्र को पढ़ कर काम शुरू करेंगे या समस्या समाधान चाहेंगे ,सफलता मिलती है |
कुन्जिका स्तोत्रं
शिव उवाच
श्रुणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिका स्तोत्रम उत्तमम्।
येन मन्त्र प्रभावेण चण्डी जापः शुभो भवेत्॥1॥
न कवचं न अर्गला स्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥2॥
कुंजिका पाठ मात्रेण दुर्गा पाठ फलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानाम अपि दुर्लभम्॥ 3॥
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनि रिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भन उच्चाटन आदिकम्।
पाठ मात्रेण संसिद्ध्येत् कुंजिका स्तोत्रम उत्तमम् ॥4॥
अथ मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा|
॥ इति मंत्रः॥(जप का मंत्र | )
नमस्ते रुद्र रूपिण्यै नमस्ते मधु मर्दिनि।
नमः कैटभ हारिण्यै नमस्ते महिष मर्दिनि ॥
नमस्ते शुम्भ हन्त्र्यै च निशुम्भ असुर घातिनि ॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।|
ऐंकारी सृष्टि रूपायै ह्रींकारी प्रति पालिका॥
क्लीं कारी काम रूपिण्यै बीज रूपे नमोस्तु ते।|
चामुण्डा चण्ड घाती च यैकारी वर दायिनी॥
विच्चे चा भयदा नित्यं नमस्ते मंत्र रूपिणी ॥
धां धीं धू धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥
हुं हु हुंकार रूपिण्यै जं जं जं जम्भ नादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः||
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं |
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥
सां सीं सूं सप्त शती देव्या मंत्र सिद्धिं कुरुष्व मे॥
(इदं तु कुंजिका स्तोत्रं मंत्र जागर्ति हेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥
यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धि अरण्ये रोदनं यथा ||.)
जगदंबा अर्पणम अस्तु |
बोल कर जल पृथ्वी पर छोड़ दीजिये |
Aaptti-vipatti nivark puja samy-
नीचे लिखे समय का आधार सूर्योदय है 06:55 में अपने शहर के सूर्योदय काल के आधार पर समय संशोधित कर सकते हें |
प्रमुख शहरों का राहुकाल समय दिया जा रहा है -
भोपालl(chandigarh-01 मिनट पूर्व प्रारंभ )
l-राहुकाल
11:16 ए एम से 12:41 पी एम
गुलिक काल
08:26 ए एम से 09:51 ए एम
रायपुर
(बिलासपुर-02 मिनट पूर्व प्रारंभ,प्रयागराज-01 पश्चात् प्रारंभ ,लखनऊ-०5मिनटपश्चात् प्रारंभ))
10:52 ए एम से 12:18 पी एम
यमगण्ड
03:09 पी एम से 04:34 पी एम
गुलिक काल
08:01 ए एम से 09:27 ए एम
Delhi- (ग्वालियर03 मिनट पूर्व प्रारंभ )
11:12 ए एम से 12:35 पी एम
यमगण्ड
03:22 पी एम से 04:46 पी एम
गुलिक काल
08:25 ए एम से 09:49 ए एम
हेदराबाद(बंगलौर-०२मिनत पश्चात् प्रारंभ,जबलपुर-०4मिनट पूर्व प्रारंभ) )
11:04 ए एम से 12:31 पी एम
यमगण्ड
03:24 पी एम से 04:50 पी एम
गुलिक काल
08:09 ए एम से 09:39 ए एम