रायपुर. लोकसभा (Loksabha News Update) में बुधवार को बस्तर सांसद दीपक बैज ने उद्योगपतियों के डूबत ऋण का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। इसके जवाब में केंद्रीय राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियमों का हवाला देकर उद्योगपतियों और कंपनियों के ऋण का ब्योरा देने से इनकार कर दिया। लोकसभा में सांसद बैज ने अतारांकित प्रश्न के जरिए पूछा था कि विगत पांच वर्षों में विभिन्न बैंकों द्वारा दिए गए ऋणों में से एनपीए की राशि कितनी है। इस राशि के कारण देश की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान होने की संभावना है।
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इसके साथ ही उन्होंने यह भी जानना चाहा था कि उक्त अवधि के दौरान बट्टे-खाते में डाले गए विभिन्न उद्योगपतियों के ऋणों का वर्षवार और कंपनीवार ब्योरा क्या है? इसके लिखित उत्तर में केंद्रीय राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया, आरबीआई संवितरण की तिथि के आधार पर अग्रिम संबंधी आंकड़े नहीं रखे जाते हैं। वहीं उद्योगपतियों के ऋण को लेकर उन्होंने जानकारी दी कि आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45 ड के उपबंधों के अंतर्गत आरबीआई को ऋण संबंधी सूचना को प्रकट करने की मनाही है। इस गोपनीय सूचना को न तो प्रकाशित किया जा सकता है और न ही प्रकट किया जा सकता है।
कृषि ऋण की दी जानकारी
सांसद बैज (MP Deepak Baij) के अन्य सवाल के लिखित उत्तर में केंद्रीय मंत्री ठाकुर ने कृषि ऋण से जुड़ी पांच वर्षों की जानकारियों को साझा किया है। इसके मुताबिक वित्तीय वर्ष 2019-20 में 12,39,575 करोड़ का ऋण दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार ने विगत पांच वर्ष के दौरान किसी भी ऋण माफी योजना (Loksabha News Update) को कार्यान्वित नहीं किया है। यद्यपि विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा कुछ ऋण माफी योजनाओं का कार्यान्वित किया गया है।