पूर्वी लद्दाख के बाद अब चीन ने भारत के दूसरे हिस्सों में घुस पैठ की कोशिश की है। खबर के मुताबिक, पिछले हफ्ते चीनी सैनिकों ने सिक्किम (INDO- China Sikkim Clash) के नाकू ला में घुसपैठ की कोशिश की। जिसके बाद भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को रोकने का प्रयास किया, जिसमे दोनों देशों के सैनिकों को चोट आई है। इस पूरी झड़प में हथियारों का इस्तेमाल नहीं हुआ है। उत्तरी सिक्किम के मुगुथांग दर्रे से आगे नाकु ला सेक्टर है। करीब 19,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस क्षेत्र को चीन विवादित मानता है। इतनी ऊंचाई पर इतनी भयंकर ठंड में ऐसी घटना होना बताता है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर दोनों देशों के बीच हालात कितने खराब हैं। यह घटना यह भी दर्शाती है कि भारतीय जवान LAC पर कितने मुस्तैद हैं।
चीन ने लद्दाख में की बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती
पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव को लेकर दोनों देशों के बीच रविवार को कोर कमांडर लेवल की नौवें दौर की बातचीत हुई थी। 15 घंटे तक चली बातचीत में भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि टकराव वाले क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चीन के ऊपर है। दोनों देशों की बातचीत से भी अभी तक इस मसलें का कोई हल नहीं निकल पाया है। भारत और चीन दोनों ने ही LAC पर बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती कर रखी है। कुछ मीडिया रिपोर्ट की माने तो चीन बातचीत में बनी सहमति के बाद भी, लद्दाख एरिया में अपने जवानों की भारी संख्या में तैनात कर रहे है।
कुछ ऐसे होती है शुरुआती झड़प
भारत-चीन बॉर्डर पर सैनिक (INDO- China Sikkim Clash) अक्सर आमने-सामने आते रहते हैं। कई बार झड़प होती है मगर हथियारों का इस्तेमाल नहीं होता। पिछले साल जब सिक्किम और पूर्वी लद्दाख में झड़प हुई थी, तब भी हथियारों का इस्तेमाल नहीं हुआ था। तब एक वीडियो सामने आया था।
डोकलाम में हो चुका है लंबा विवाद
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में 2020 अप्रैल-मई के बाद से ही लगातार तकरार बरकरार है। सिक्किम सेक्टर की बात करें तो यहां 2017 में डोकलाम ट्राई जंक्शन पर भी 73 दिन तक तनाव की स्थिति रह चुकी है। उस वक्त भी तनाव इतना बढ़ा था कि युद्ध के आसार जताए जाने लगे थे। इसके बाद 2020 में नाकू ला दर्रे के पास तीखी झड़प हुई। उससे पहले लद्दाख में 5 मई 2020 को पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ चुके थे
किसी समझौते को नहीं मानता है चीन
2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ यह सहमति बनी थी कि सिक्किम भारत का है और चीन इसपर कोई दावा नहीं करेगा। बदले में भारत ने तिब्बत को चीन का हिस्सा मान लिया था। हालांकि इसके एक साल के भीतर ही चीन के उप-विदेश मंत्री ने तत्कालीन विदेश मंत्री से कहा था कि यह मुद्दा अभी सुलझा नहीं है। सिक्किम-तिब्बत संधि 1890 में भी सीमांकन को लेकर स्थिति साफ है। 1894 का सिक्किम गजेटियर भी नाकू ला के पास से गुजरने वाली सीमा का जिक्र करता है।